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श्री धर्भ प्रपतन सार. स्यैव वस्तुत्वं तमंतरेण तद्नावात् सद्विविधः विनजन १ प्रवृत्ति ५ नेदात् प्रवृत्ति व्यवहार स्त्रिविधः वस्तु प्रवृत्तिः ।
साधन प्रवृत्तिः ५ लौकिक प्रवृत्तिश्च ३ साधन प्रवृत्ति स्त्रेधा ६ लोकोत्तर १ लोकिका २ कुप्रा वचनिक ३ नेदात् इति व्य
वहारनयश्री विशेषावश्यके ॥ ___अर्थः-संग्रह ग्रहित वस्तु के संग्रहनये ग्रहित जे 9 वस्तु नेदांतरेण के० तेने नेद नेदांतरे, विनजनं के व्हें है
चर्बु तेने व्यवहार कहीए. एटले संग्रहनये ते सामान्य 5 विशेष सर्वेने सामान्यपणे ग्रहे एटले पिंझपणे ग्रहे पण
व्यक्तव्यपणे न ग्रहे. जेम द्रव्य एवं सामान्य नाम का, तेमां सर्वे द्रव्यनुं ग्रहण थयु, ते संग्रह नय. तेने नेदांतरे व्हेंचे ते व्यवहार नय. एटले द्रव्यना बे नेद. जीवद्रव्य 6 अने अजीवद्रव्य.अजीवना बे नेद, रूपी अने अरूपी. रूपी
ते पुद्गल तेना वे नेद. परमाणु अने खंध. खंधना वे नेद. जीव सहित अने जीव रहित. तेमां जीव सहितना वे नेद, सूक्ष्म अने वादर. यहां वर्गणानो विचार डे. त्यां वादरवर्गणाना चार नेद उदारीक (१), वैक्रिय (२), श्राहारक (३), अने तेजस (8), हवे सूक्ष्म वर्गणाना चार नेद कहे . नाषा (१), श्वासोश्वास (२), मन (३), अने कार्मण (४), ते कार्मणना आउनेद, ज्ञानावरणीय (१), दर्शनावरणीय (२), वेदनीय (३), मोहनीय (४) आयुष . (५), नाम (६), गोत्र (७), अने अंतराय (ज), ए आग्ने | Eकर्मवर्गणा कहीए तेना उत्तरनेद एकसोने अठ्ठावन बे, ते
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