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________________ साह प्रतापसी तद्भार्या कोरबाई चिरंजीवी साह घेला तद्भार्या प्रथमा पदमाबाई तत्पुत्र साहा मेघजी। साहा घेला तदधुनावततेभार्या नानबाई तत्पुत्र साह गोविंदजी साह मेघजीघेला तद्भार्या वेलुबाई । दिन २ अधिक प्रतापश्चिरंजीवी साह श्री शिवजी नेणशी तद्भार्या पदमा. बाई तत्तपुत्र च्यार साह षीसी १ साह नागसी २ साह लषमसी ३ साह उकरडा ४ साह षींअसी तद्भार्या पुमाबाई तत्पुत्र साह कल्याणजी । साह नागसी तद्भार्या प्रमाबाई । साह लषमसी तद्भार्या राणवाई । साह उकरडा तद्भार्या सोनबाई । साह डेराज तद्भार्या मालबाई । अथ द्वितीयो लोडाईया गोत्रे चिरंजीवी साह श्री मेघजी केशवाणी तत्पुत्र साह मालु तद्भार्या वालबाई तत्पुत्रदिन २ अधिक प्रतापश्चिरंजीवी साह वेलजी तथा लखमसी तद्भार्या कमिबाई तत्पुत्र द्वौश्चिरंजीवी साह त्रीकमजो १ तथा साह अमरसी २ साह त्रीकमजी तद्भार्या देवकुंवरबाई । अथ तृतीयो गांधी मोहता गोत्रे चिरंजीवी साह श्री नायक तद्भार्या हीरवाई तत् पुत्र दिन २ अधिकप्रतापश्चिरंजीवी साह केशवजी तद्भार्या पाबुबाई तत्पुत्र साह नरसी तद्भार्या रत्नबाई । ए परिवार जण त्रिननो लिख्यो छे । साह श्री शिवजी नेणशी तथा साह श्री वेलजी मालु तथा साह श्री केशवजी नायक । ए जण ३ मिलीने कल्याण टुक ते विषे श्री मेरुप्रभजिनालय सातगंभारावालो ते उपरें त्रिन चोमुख ते उपरे पांच शिखर माहामनोहर कर्या छे तथा रंगमंडप मुषमंडप उपरे चारे तरफे सामणि करी छे ॥ तथा देहराने हेठे मोटो भोयरो कराव्यो छे । अने मूल गंभाराने विपे मूलनायक श्री शांतिनाथजी प्रमुख पाषाणना बिंब ३३ थाप्या छे । अने धातुना विब ३३ फिटकनो बिंब १ थाप्यो छे । तथा रंगमंडप मध्ये शाशन यक्ष यक्षणीमूर्ति २ तथा गछअधिष्ठायिकादेवी श्री चक्रेश्वरी महाकाली मूर्ति २ थापि तथा उपरे चोमूष ३ छे तेमां धर्मनाथजोनो १ सास्वता. जीननो २ मुनीसुवृत्तस्वामी प्रमुखनो ३ मोटा देहराने नैऋत षणे साह पांचूभाई तेजसीनो दहेरो तेमां बिंब ७ पाषाणना छे ॥ मोटा देहराने वावणे जूना शांतिनाथजी प्रमुख पाषाणना बिंब ३ थाप्या छे ॥ मोटा देहराने ईशान पूणे साह त्रीकमजी वेलजीनो देहरो छे तेमां श्री पार्श्वनाथजो प्रमुख पाषाणना बिंब ३ थाप्या छे ॥ मोटा देहराने अग्निष्णे ज्ञान भंडारनो देहरो छे तेमां आचार्यना पाट २६ नी पादुका थापी छे । तथा मोटा देहराने सनमुष गणधर चक्रधरजी प्रमुख बिंब ३ पाषाणना थाप्या छे ते गणघरजीनो देहरो छे ते देहराने उत्तरादि कोरे साह पदमशी वीरजीनो देहेरो तेमां पाषाणना बिंब ३ थाप्या छे ॥ ते गणधरना देहेराने दक्षिणादि कोरे साह सामजी हेमराजनो देहरो ते मांहे चंद्रप्रभ प्रमुख पाषाणना बिंब ३ तथा बिंब १ फिटक रत्ननो छे तथा मोटा देहेरानी सनमुख जिमणी बाजुई सा परबत लघानो देहेरो चोमुखनो छे अने ते उपरे पिण चोमुख छे । तथा मोग देहेरानी सन्मुख डाबीबाजूई सा लालजो मेघजीनो चोमुख देहरो छे । ते उपरे पिण चोमुख छ । अने देराने पाछले देहेरी मध्ये श्रीऋषभदेवजीना पगला छे । एणी रीते कल्याण मंदिर टुंक गढसीके माहा मनोहर कराव्यो छे । तथा उपाश्रय नवचोकीवालो बेमालो तथा करडी मेडीबंध तथा महाजनवाडी तथा पांजरापोल तथा फूलवाडी तथा मुंबइथी संघ लई श्री सेव॒जानी यात्रा करावी आंही सुधी संघसमस्तने घेणषरच आपीने संघ काठ्यो । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034742
Book TitleAnchalgacchiya Pratishtha Lekho Part 01 and 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa
PublisherAkhil Bharat Anchalgaccha Vidhipaksha Shwetambar Jain Sangh
Publication Year1971
Total Pages288
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size37 MB
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