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परन्तु जैन धर्म की नीव अभेद किले के सदृश्य सुदृढ़ होने के कारण आजतक धर्मों में अपना उच्चासन गृहण किये हुए अपने सिद्धान्तका महत्व विश्वव्यापी बना रही है। यह जैन धर्म की अहिंसा और आत्मबलका सत्य विकास ही है जिसने संसार की पाशविक महान शक्ति का सामना महात्मा गांधोके नेतृत्व में भारत वर्षमें किया और कर रहा है। जिसके आधार पर ही संसारकी सवही भारी शक्तियां "निःशस्त्री करण" के सिद्धान्तको अपनाके विश्व शान्ति फैलाना चाहती हैं। 'आहेसा' आत्माका निज गुण होनेके कारण महान् शक्तिशाली शस्त्र है सत्य के आधार पर जिसका प्रभुत्व संसारमें कभी नष्ट नहीं हो सकता ।
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