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जीव-विज्ञान
पढ़कर अपने योग के विषय को ढूँढ़ेगा। वह सोचेगा कैसे हम इनका उपयोग योग में कर सकेंगे? पाँच इन्द्रियों के विषय हैं। इन्द्रियाँ तो मन की माँग करती ही नहीं हैं। यह मन है जो इन इन्द्रियों के अनुकूल विषय चाहता है। एक योगी सोचेगा-'इस मन को शान्त कर दो। इन्द्रियाँ तो शान्त ही हैं क्योंकि इन्द्रियों का संचालन मन के कारण ही हो रहा है। वह योगी मन के अंदर जो श्रुतज्ञान की परिणति चलेगी, विचारों की परिणति चलेगी-उनको रोकेगा। मन को रोकने के लिए क्या करना है?पहले इस श्रुतज्ञान की परिणति को रोकना। इसलिए कोई भी योगी होगा वह आपको योगाभ्यास कराएगा तो पहले आपको विचार-रहित करेगा। आपको सभी बाहर की चीजें छुड़ाएगा, आपको निर्विचार बनाएगा। आप सभी बाहर की चीजें छोड़े। कई बार मन उस बारे में सोचने लग जाता है। पहले आप उन चीजों को छोड़ करके बैठेंगे तो आप अपने मन को शांत और स्थिर कर पाएंगे। क्योंकि मन का जो विषय है वह अगर उसको मिलेगा तो वह तो उछलेगा। मन का विषय अगर उसको नहीं मिलेगा तो वह शान्त हो जाएगा। इस तरह से जो अपने मन को संभालने लग जाता है वह योगी हो जाता है। क्योंकि उसको मालूम है कि मन को थोड़ा खुला छोड़ा, थोड़ी-सी इसको छूट दी तो यह अपना दुरुपयोग करना शुरू कर देगा। इन्द्रियों के दुरुपयोग को संभालते रहने का नाम ही है-अपने आप से जुड़ना। यह योग की पद्धति है जो इन सब सूत्रों से ही चलती है। श्रुतज्ञान का उपयोग कम से कम करना। ज्यादा कुछ मन सोचे नहीं। जितना दिख रहा है उतना देख, जितना सुनने में आ रहा है उतना सुन, जितना परोसा जा रहा है उतना ही चख-इसके अलावा अन्य कुछ नहीं सोचना है। ऐसा जब मन की परिणति में आ जाता है तो वह मन भी शान्त हो जाता है। इसलिए अनिन्द्रिय को श्रुतज्ञान का विषय कहा है और इनका उपयोग भी योगों के सूत्रों में होता है।
आगे के सूत्र में आचार्य कह रहे हैं-"इन इन्द्रियों के स्वामी कौन-कौन होते हैं?"
स्पर्शन इन्द्रिय के स्वामी
वनस्पत्यन्तानामेकम् ।। 22 || अर्थ-पृथ्वीकाय से लेकर वनस्पतिकाय पर्यन्त जीवों की एक स्पर्शन इन्द्रिय ही होती है।
एकम् का अर्थ है-एक इन्द्रिय । एक इन्द्रिय का मतलब है-स्पर्शन इन्द्रिय । आचार्यों के सूत्र लिखने का तरीका देखो। कितने कम शब्दों में उन्होंने स्पर्शन इन्द्रिय की परिभाषा दी है। 'वनस्पत्यन्ताना' वनस्पति जिनके अंत में है वे सभी स्पर्शन इन्द्रिय वाले हैं। 'एकम् से तात्पर्य एक इन्द्रिय वाले हैं या स्पर्शन इन्द्रिय वाले हैं। स्पर्शन इन्द्रिय के स्वामी कौन है? वनस्पति जिनके अंत में है। किसके अंत में वनस्पति है? यहाँ पीछे का सूत्र याद करो जिसमें वनस्पति अन्त में आई है। तेरहवें सूत्र में आया है पृथिव्यप्तेजोवायुवनस्पतयः जिनके अन्त में वनस्पति है। अर्थात् पृथ्वी, अप, तेज, वायु, वनस्पति इन सबके लिए एक इन्द्रिय की ही उपलब्धि होती है। ये सभी स्पर्शन इन्द्रिय वाले जीव हैं। आचार्यों के सूत्र लिखने के कितने अच्छे तरीके हैं जो पहले लिख दिया उसी को उन्हें
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