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किन्तु कुछ ग्रंथकारोंने कहीं कहीं उनका नाम ' मल्ली कुमारी' लिखा है।
स्त्री तीर्थकरका होना यद्यपि सर्वथा नियमविरुद्ध है किन्तु श्वेतांबर ग्रंथकारोंने इस नियमविरुद्ध असत्य बातको ‘अछेरा' कह कर टाल दिया है । अछरा' शब्द का अर्थ एक तो आश्चर्य है। यानी ऐसी बात जो कि विस्मय ( अचम्भा ) उत्पन्न करने बाली हो। दुपरा इस अछेरा शब्दका अर्थ यह भी किया जाता है कि । अछेरा । यानी- ऐसी न हो सकने योग्य बातें जिनके विषय में कोई प्रश्न ही न छेडो । शंक रूपमें ही रहने दो।
किन्तु ये सब गतें अपना दोष छिगनेके लिये हैं । बुद्धिमान् पुरुषको प्रकृतिक नियमों के सामने प्रत्येक बात की सत्यता, असत्यताका निर्णय किये बिना मिथ्या व नहीं हट सकता, और सच्चा श्रद्धान नहीं हो सकता और इसी कारण सम्यग्दर्शन होना असंभव है !
प्रकरण रत्नाकर (प्रवचनसारोद्धार ) के तीसरे भागके ३५५ वें पृष्ठपर यों लिखा है
उनसग्ग गब्महरणं इच्छी तित्थ अभाविया परिसा । कण्हस्स अबरकंका अवयरण चंदसूराणं ॥ ८९२ ॥
अर्थात् -- श्री महावीर स्वामी तीर्थकरपर उपसर्ग होना, महावीर स्वामी का गर्भहरण, स्त्री तीर्थकर मल्लीकुमारी, महावीर स्वामीको अभाविता परिषत् यानी उनका कुछ समयके लिये उपदेश व्यर्थ हुआ, कृष्णका घातकी खंडकी अपर कंका नगरीमें जाना, चन्द्रमा सूर्यका अपने विमानसहित पृथ्वीपर उतरना ये अछेरा हैं।
इसके आगे ३५६ ३ पृष्ठपर लिखा है - ___ " तीर्य शब्द द्व दशगी अथवा चतुर्विध संघ ते त्रिभुवनने पतिशायी निरुपम महिना धणी एवा पुरुष थकीज प्रवर्तवु जोइये । ते मा वर्तमान चौवीसीमां कुंभ राजानी प्रभावती राणीनी पुत्री श्री मल्ली एने नामे कुमरी थई तेणेज उगणीसमो तीर्थंकर थइने तीर्थ प्रवर्ताव्यु ए पण त्रीचं आश्चर्य जाणवू ।" .
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