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कई खास आवश्यकता रहेती नथी. हालनी स्थितिमा संघ अव्यवस्थित अने निर्बळ थई पड्यो छे अने तेनी संमतिनी अपेक्षा राखवामां आवे तो ते कोनी पासे मागवी, कोण केवी रीते आपी शके; ए पण ठरावी आपqज जोईए अने जो न ठरावो आपवामां आवे तो योग्य प्रसंगे पण संमति मळवी मुश्केल थई पडे. वळी संघनी संमतिनो उद्देश कायदामां अयोग्य दीक्षा अपाती बंध थवाथी पूरो पण पडे छे. एटले तेने माटे कई आवश्यकता होय एम अमने लागतुं नथी. ७४. कायदामां ठरावेली संमतिनो पुरावो केवो होवो जोईए ए विषे हवे विचार
न करवानो रहे छे, केटलाक जणे एवी सूचना करी हती संमति माटे पुरावो केवो होवो के दीक्षाना उमेदवार प्रांतना सुबा पासे अरजी करवी जोईए?
अने तपास करी ते जे काममां दाखलो आपे ते काममां ते दाखलो समतिना पुरावा तरीके गणवो जोईर. बीजा केटलाकन कहेवु एवं हतु के दीक्षाना उमेदवारे दिवानी न्यायाधिशीमां अरजी करवी जोईए अने न्यायाधीशे एवी अरजी आव्या पछी तेनी प्रसिद्ध रीते जाहेरात आपवी अने अरजीमा जणावेला सगां संबंधीने सूचना आपी तेमनी कंई हरकत न होय तोज दीक्षा लेवानो दाखलो आपवो जोईए. परंतु आ बन्ने प्रकारोथी घणो विलंब, खर्च तथा अथडामण थवानो संभव रहे छे. वळी आवा दाखला माटे न्यायाधिशीमा एक मुकदमो चलाववा जेवी योजना करवान कोई कारण नथी. दीक्षानो उमेदवार एक एवो लेख तैयार करे के जेमां तेनुं नाम, ठाम, ठेकाणुं अने उमर बतावी होय, तेना माबाप अने लग्न थयुं होय तो धणी के स्त्री हयात छे के नहीं ते जणाव्यु होय, अने स्त्री के धणी हयात होय तो तेमनी संमति बद्दल तेमनी सही लीधेली होय अने तेवो लेख हुकमतवाळी नोंधणी कचेरीमा रजू करी नोंधणीना कायदा प्रमाणे नोंधाग्यो होय तो तेथी सही तथा सहीओ करनारना खरापणा विषे इतर लेखोनो पेठ नोंधणी कामदार जोइती खात्री करी शके छे. माटे संमति बद्दल अमे आ निवेदन साथे सामेल राखेला कायदाना नवा मुसद्दामा नमनो सूचव्यो छे ते प्रमाणे एक लेख थवानी, ते नोधाववानी अने एवो नोंचावेलो लेख रजू कर्या वगर दीक्षा नहीं आपवानी एक कलम कायदामा दाखल थाय तो तेथी जेमनी संमति लेवानी आवश्यकता राखवामां आवे ते संमति छ के नहीं, ते जोवाने दीक्षा आपनार पासे ते दाखलो रजू थतां तेमने सहेज जणाई आवशे. ७५. केटलाक तरफथी एक सूचना एवी थई छे के जेणे दीक्षा लीधी होय ते
दीक्षा छोडी दईने पाछो आवे त्यारे वारसा विगेरेनी रुइए दीक्षा छोडी देनारनो मिलकत मळबानो मिलकत उपरनो तेनो हक्क कायम रेहेवो जोईए. उपरनो हक्क.
परंतु आ सूचना अमने योग्य जणाती नथी. मिलकत विगेरेनो त्याग ए दीक्षानुं मुख्य अंग छे अने ज्यारे कोई इसमे दीक्षा लीधी होय त्यारे ते लीधायीज मिलकत उपरनो तेनो हक नष्ट थाय छे. एटला माटे दीक्षा लेनार कोई पण सखस दीक्षा छोडी पाछो संसारमां आवे त्यारे ते हक्क तेने फरोथी मळवो न जोईए.
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