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राजस्थान जैन संघ की ओर से यथासम्भव सहायता की गई है। इसी प्रकार श्री चवलेश्वर तीर्थ का मामला है जिसमें भी दिगम्बरश्वेताम्बर का झगड़ा है और राजस्थान जैन संघ की ओर से कानूनी सलाह दी गई है । समय-समय पर श्री शंकरलालजी मुणोत वहां गये हैं और अभी भी कार्रवाई चल रही है और यह मामला अभी तक कोर्ट लम्बित है और अभी तक इसका
निर्णय नहीं हुआ है ।
पूज्य उपाध्याय श्री धर्मसागरजी महाराज साहब के स्वर्गवास के पश्चात् पूज्य प्रन्यास एवं उनके शिष्य श्री अभयसागरजी महाराज साहब ने पूज्य गुरुदेव के अधूरे कामों में रस लेना शुरू किया और समय-समय पर मार्गदर्शन भी दिया है और बिमारी के बावजूद भी अलभ्य सहयोग दिया । पूज्य श्री को हमेशा यही इच्छा रही है कि पूज्य धर्मसागरजी महाराज साहब ने जो उपलब्धियां संघ व समाज के लिये प्राप्त की और महत्वपूर्ण फैसले कराने में सहायभूत हुए उसका संकलन कर उनकी जीवनी एवं चरित्र के साथ-साथ प्रकाशित कराई जावे । उस उद्देश्य को मूर्तरूप देने के लिये कुछ रेकर्ड स संयोजक के पास भिजवाया है और कुछ रेकर्ड स उंझा स्थित उपाश्रय की आलमारियों में बन्द है । इस बीच पूज्य पन्यास प्रवर श्री अभयसागरजी महाराज साहब का स्वर्गवास दिनांक 26-11-86 को हो गया । आशा है उनके पाट परम्परा पर आये शिष्य श्री पन्यास प्रवर श्री अशोकसागरजी महाराज साहब एवं अन्य शिष्य मुनिराज उनका
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