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उपसंहार
१७३ शङ्कराचार्य की बुद्धि चकरा गई और उन्होंने भारती के सवालों का उत्तर देने के लिए एक महीने की मुहलत मांगी। भारती सहमत हो गई और श्री शङ्कर ठीक एक महीने के बाद वापस लौटने का वचन देकर चलते हुए।
संयोगवश इसो समय मयूख नाम के किसी राजा का देहान्त हो गया था। उसके मृत शरीर को लोग दाह-संस्कार के लिए श्म. शान की ओर लिये जा रहे थे। शङ्कराचार्य बहुत प्रसिद्ध संन्यासी थे। वे अपने असली वेश में, जिस शास्त्र में उनकी विद्या अधूरी थी उसकी शिक्षा नहीं ले सकते थे। उन्होंने देखा, मौका अच्छा है। चट उन्होंने अपनी आत्मा को उस शव के शरीर में पहुँचाया
और राजा मयूख पुनर्जीवित हो उठा। ___ राजा के रनिवास में एक से एक बढ़कर सुन्दरी रानियाँ और वेश्याए थीं। उन सबकी प्रसन्नता की सीमा न रही। इनमें से बहुतों की ओर वृद्ध राजा ने बरसों से कोई ध्यान नहीं दिया था। जिस उत्साह और लगाव के साथ श्री शङ्कर ने भारती के सवालों का जवाब पढ़ना प्रारम्भ किया, उससे अन्तःपुर के सभी लोगों को बड़ा अचम्भा हुआ। उन्हें शङ्का हुई कि कहीं कोई सिद्ध तो स्वर्गीय राजा के शरीर का उपयोग नहीं कर रहा है। इस भय से कि कहीं फिर वह अपने शरीर में वापस न चला जाय, उन्होंने देश के कोने-कोने में डुग्गी पिटवा दी कि अगर कहीं भी किसी आदमी की लाश खोजने से पड़ी मिल सके तो उसे तुरन्त जलाकर राख कर दिया जाय।
उधर श्री शङ्कराचार्य के शिष्य, जिनके निरीक्षण में वे अपना शरीर छोड़ गये थे, अपने गुरु के ठीक समय तक वापस न लौटन पर बड़े आतुर हो रहे थे। उन्होंने भी ढिंढोरा सुना। उन्हें बड़ी
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