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उपरान्त भी सम्मेलन को बल ही प्राप्त होगा ।
इस प्रकार गत वर्ष में जैन धर्म एवं समाज में जो परिवर्तन होंगे, उसका अधिकतर श्रेय सम्मेलन को ही होगा तथा जैन समाज में वही एक जीवित संस्था होगी जो अखिल विश्व में जैन धर्म को फैलाने के लिये हमेशा तत्पर रहेगी। इस सम्मेलन का प्रधान उद्देश्य देश व विदेश में जैन धर्म का प्रचार करना, अहिंसामिशन की स्थापना करके विश्व में अहिंसा के सिद्धान्तों का प्रचार करना, मानव जाति को शाकाहारी बनाना, शास्त्रों का अनुसंधान करना व संग्रह करना आदि है। इसके अतिरिक्त इसके छोटे-बड़े अनेक उद्देश्य और भी हैं। इस प्रकार यह सम्मेलन एक विस्तृत रूप रेखा तैयार कर जैन धर्म को एक विश्व व्यापी धर्म बनाने की कोशिश करेगा। जिससे कि विश्व में शान्ति स्थापित हो तथा मानव, मानव की सहानुभूति प्राप्त करें ।
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