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प्राचीन प्रमाण
ध्रुटि रह गई भी हो, ( यह संभव है) फिर भी जबतक इसके विपक्ष में कोई युक्त युक्ति प्रमाण नहीं मिले तब तक इन प्रमाणों को मानना न्याय सङ्गत ही है ।
यदि श्रोसवाल समाज के विद्वान लोग संशोधक तथा नवयुवक इस विषय का विशेष ऊहापोह एवं अन्वेषण करेंगे तो ओसवाल जाति की प्राचीनता सिद्ध करने वाले कई एक ऐतिहासिक प्रमाण मिलने मुश्किल नहीं है।
प्रत्येक जातिएँ अपनी२ प्राचीनता की शोध में भरसक प्रयत्न कर रही हैं किन्तु भारत में एक ओसवाल जाति ही ऐसी है जो अपनी जाति की उत्पत्ति व उत्थान के लिये कानों में तेल डाल कुंभकर्णी निद्रा में सो रही है । परन्तु वीरों ! उठो! अब सोने का समय नहीं है जागो! और सावधान होकर अपना जीवन जाति की सेवा में अर्पण कर दो यही आपका जाति के साथ उपकार और अक्षय कल्याण है।
इत्यलम्
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