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[ ५५ ] सम्बंध होने से परस्पर विवार और भाव विनिमय होते रहेंगे। ऐसा होने से हमारी उन्नति का मार्ग बहुत प्रशस्त हो जायगा।
इस स्थल पर मुझे एक घटना याद आ गयी है। यह बीकानेर की बात है। मैं सस्त्रीक वहां गया था और समाज के एक प्रतिष्ठित धनवान भाई के यहां ठहरा था। वे दो भाई थे। घर में दोनों भाइयों की पत्नियां और वृद्धा माता थीं। मेरी स्त्री हबेलो में वृद्धा माताजी के पास ठहरीं। दोनों बहुयें शहर की थीं। स्थानीय रिवाज के अनुसार प्रातःकाल दोनों अपने पीहर चली जाती और संध्या समय लौटती थीं। नतीजा यह था कि गृहस्थी का सारा भार और अतिथियों की सेवा आदि वृद्धा माता को ही करना पड़ता था। इस घटना ने शहर में विवाहादि करने की दिक्कतों और दिन भर मायके में रहने की कुरीति ने मेरे ऊपर गहरा प्रभाव डाला। दाम्पत्य जीवन के अतिरिक्त भी महिलाओं का बहुत कुछ कर्त्तव्य है। वे गृहस्थ जीवन की अधिष्ठात्री और संचालिका हैं। अतिथि-सेवा, शिशुपालन आदि का भार उन्हीं पर है। परन्तु यदि वे दिन का सारा समय मायके में ही स्वच्छंदता से बितायेंगी तो उन को इन पवित्र कर्तव्यों के सम्पादन का अवसर नहीं मिल सकता। इन सब कठिनाइयों को दूर करने का एकमात्र उपाय वैवाहिक क्षेत्र की वृद्धि और इस प्रकार मायके में रहने के रिवाज को दूर करना ही है।
___यहाँ समाज की वेशभूषा के सम्बन्ध में भी कुछ निवेदन कर देना मैं आवश्यक समझता हूं। वस्त्र का मुख्य उद्देश्य लज्जा और गर्मी-सरदी का निवारण है, परन्तु अब उन का प्रयोग आकर्षण और सौन्दर्य वृद्धि के लिये किया जाता है। इस समय जो पहिरावा प्रचलित है वह आर्थिक तथा स्वास्थ्य की दृष्टि से सर्वथा हानिकारक है। उदाहरण खरूप राजपूताने के पहिरावे को ही लीजिये। किसी प्रांत विशेष पर आक्षेप करना हमारा उद्देश्य नहीं है। लेकिन स्पष्टवादिता के नाते हमें यह अवश्य ही स्वीकार करना पड़ेगा कि हमारे पहिरावे में सुधार की बहुत कुछ गुञ्जाइश है। हमारी स्त्रियाँ गहनों से इस प्रकार लदी रहती हैं कि वे उन के ऊपर एक प्रकार का बोझ सा हो जाता है। इस व्ययसाध्य आडम्बर से समाज को जो कठिनाइयां उठानी पड़ती हैं, उसे प्रायः सभी भाई जानते हैं। इसके साथ ही हमारी देवियों के सौन्दर्य तथा स्वास्थ्य पर भी इनका बड़ा ही हानिकर प्रभाव पड़ता है। गहनों के बोझ के कारण वे अपने शरीर को पूर्णरूप से साफ सुथरा नहीं कर सकती हैं, जो केवल उन के शरीर को ही हानि नहीं पहुंचाता वरन् उन की भावी सन्तान को भी इस हानि का भागी होना पड़ता है। आभूषणों के कारण स्त्रियों की खतंत्रता में भी काफी बाधा पड़ती है। चोर बदमाशों के भय से वे एक स्थान से दूसरे स्थान में खतंत्रतापूर्वक जा भी नहीं सकती हैं।
इंग्लैंड में विदेशी वस्तुओं को त्याग कर अपने देश की वस्तुयें खरीदने के लिये लोग एड़ी-चोटी का पसीना एक कर रहे हैं। इटली में केला पैदा न होने के कारण, मुसोलिनी इटेलियनों को केला खाने की मनाही कर रहा है, तब क्या हमारे समाज की
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