________________
[ ३ ]
सज्जनों को जो इतना कष्ट उठाकर सम्मेलन में सहयोग देने के लिये उपस्थित हुए हैं, पूर्ण रूप से धन्यवाद दिया ।
पश्चात् सम्मेलन के मंत्री बाबू अक्षयसिहजी डांगो ने कहा कि यह महान् कार्य जिस खूबी से सम्पन्न हुआ हैं इस का सर्व श्रेय प्रतिनिधियों तथा विशेष कर अजमेर के ओसवाल समाज का है। क्योंकि यदि इनमें से एक भी व्यक्ति के सहयोग की कमी रह जाती तो वह त्रुटि पूर्ति होनी कठिन हो जातो । ओसवालों में धनवान तथा विद्वान् महानुभावों ने भी इस पूरी सहायता और सहानुभूति दिखलाई तदर्थ उन्हें भी हार्दिक धन्यवाद है । अपना अमूल्य समय देकर जिन सज्जनों ने डेपुटेशनों में जाकर जाति-सेवा की तथा स्वयंसेवकों ने जिस तरह अपने कर्त्तव्य पालन का अपूर्व परिचय दिया इसके लिये सम्मेलन की ओर से मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं ।
इस के अतिरिक्त हिज हाइनेस महाराजा बहादुर किशनगढ़ तथा सेठ सोनीजी साहेब ने सम्मेलन को जिस तरह मदद पहुंचाई है इस के लिये उन लोगों को जितना धन्यवाद दिया जाय, थोड़ा है।
विशेषकर किशनगढ़ दरवार ने मोटर, लारी सामियाना आदि वस्तुएं सहर्ष देनेकी जो उदारता दिखाई तथा सभापति महोदय की अस्वस्थता का समाचार पाकर उनकी शुश्रूषा के लिये अपने दरवारके डाकर साहब को भेज कर सहानुभूति प्रकट की इस लिये हमलोग उनके विशेष कृतज्ञ और आभारी हैं। समाज के समस्त सज्जनों ने जिस प्रकार अपूर्व त्यागरूप जलसे इस सम्मेलन के पौधे को सींचा है इस से आशा की जाती है कि निकट भविष्य में वह फल फूल से सुशोभित होकर ओसवाल जाति के संगठनका कार्य पूर्ण करेगा । उन्होंने यह भी कहा कि सभापति महाशय जिस शारीरिक अवस्था में कलकत्ते से खाने हुए वह प्रायः सब को मालुम है और विशेष जानने की बात यह है कि उन के वहां से प्रस्थान के कुछ ही दिवस पहिले उन की पुत्रवधू का देहान्त हो गया था। ऐसी हालत में उन ने ज्वरग्रस्त होते हुए भी इतना दूर पधार ने का कष्ट लिया यह उन के कर्त्तव्य पालन और जाति प्रेम का प्रत्यक्ष दृष्टान्त है और समाज के कार्यकर्त्ताओं तथा नवयुवकों के लिये अनुकरणीय है । जिल पवित्र उद्देश्य को लेकर समाज सिरोमणि बाबू पूरणचन्दजी नाहर ने अपवे नेतृत्व में महासम्मेलन के प्रथम अधिवेशन का कार्य समाप्त किया है और जनता को जो मार्ग दिखलाया है उस से अपनी जाति शीघ्र ही उन्नति पथ पर अग्रसर होतो दिखाई पड़ेगी । अतः हम सब उन के पूर्ण आभारी हैं और आशा करते हैं कि उन का यह कार्य ओसवाल समाज के इतिहास में अमर रहेगा ।
अन्त में सभापतिजी के ओर का धन्यवाद उन का स्वर-भंग रहने के कारण बांबू इन्द्रचन्दजी सुबंती एडवोकेट ने पढ़ा जो इस प्रकार है :
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
-:
www.umaragyanbhandar.com