________________
[ १४ ] (११) श्रीमान् राजेन्द्रसिंहजी सिंघी-मुः कलकत्ता
___ "खेद है कि मैं नहीं आ सकता । सम्मेलन की हृदय से सफलता चाहता हूं।" (१२) श्रीमान् बालचंदजी श्रीश्रीमाल-मुः रतलाम
"ओसवाल जाति में वाल रसम रिवाज़ों का पलटा करना, अन्धाधुन्ध बादशाही खर्च के स्थान पर देश कालानुसार सुलभ रिवाज़ों रसमों का प्रचार करना इत्यादि कार्यों को व्यवस्थित और संगीन रूप से करने के लिये संगठन बल को उन्नत बनाने की आवश्यकता है।" (१३) सेठ मंगलचंदजी झावक - मुः मद्रास
"हमको आप के कार्य से पूर्ण सहानुभूति है और श्रीवीतराग भगवान से आपकी सफलता की प्रार्थना करते हैं।" (१४) सेठ विजयराजजी--मुः मद्रास
__“उपस्थित होने से लाचार हूं। सम्मेलन की हृदय से सफलता चाहता हूं।" (१५) श्रीयुत सेसमलजी-मुः इगतपुरी
"खेद है माता बीमार हैं। परदा, मृत्युभोज के खिलाफ़ मैं अपील करता हूं। सम्मेलन की सम्पूर्ण सफलता चाहता हूं।" । (१६) सेठ रतनचंदजी गोलेछा -- मुः जबलपुर
__"मैं हृदय से सम्मेलन की सफलता चाहता हूं। गुरुदेव निर्विघ्नतापूर्वक समाप्त करें। सम्मेलन के प्रत्येक महानुभाव से मेरा निवेदन है कि सम्मेलन को सफल बनाकर समाज में संगठन, ऐक्यता, शिक्षा, धार्मिक उन्नति और कुरोतियों के निवारण का प्रस्ताव पास कर इन को कार्य रूप में परिणत होने की योजना करें।" (१७) श्रीयुत सज्जनसिंहजी सिंघवी-मुः गोवरधन
"बीमार होने के कारण सम्मिलित नहीं हो सकता जिस के लिये खेद है। सम्मेलन की हृदय से सफलता चाहता हूं।" (१८) सेठ रिधराजजी धाड़ीवाल-मुः लश्कर (ग्वालियर )
___ "बहुत दिनों से अस्वस्थ्य रहने के कारण आने से मजबूरी है। सम्मेलन के साथ मुझे पूर्ण सहानुभूति है और उसकी बढ़ोतरी के लिये मैं हर तरह से कोशिश करने के लिये तैयार हूं। मैं सुधारों के विषय में अपने विचार भो भेज रहा हूं।" (१६) सेठ चुन्नीलालजी मनोहरलालजी गोठो-मुः नासिक सिटी
___“खेद है आ नहीं सकते। सम्मेलन की सफलता चाहते हैं। जाति सुव्यवस्थित हो, ऐसे सुधारों की आयोजना की जावे। सब सम्प्रदायों की ऐक्यता बहुत जरूरी समझी जावे।"
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com