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किशनगढ़, हरमाडा, अराई, सरवार भीनाय, तिपारी, भुवांरा, तिलोनिया भुवानी
और गोदाना ।
(१०) बाबू प्रेमचंदजी सोलंखी
आप २४ मेम्भर बनाया तथा सम्मेलन के सहायतार्थ रु० ३६) चंदा संग्रह किया और निम्नलिखित स्थानों में प्रचार का कार्य किया :
घारेराव, देसूरी. राणी, कोट, सेवाडी, सांडेराव और विजोवा ।
. (११) बाबू उगमचंदजी मेहता
आप २४ मेम्बर बनाया और सम्मेलन के सहायतार्थ रु० ४०) चंदा संग्रह किया जयपुर मैं 'प्रचार किया ।
तथा व्यावर और
( १२ ) बाबू किशनलालजी पटवा
आप १६ मेम्बर बनाया और सम्मेलन के सहायतार्थ रु०४६) चंदा संग्रह किया तथा भरतपुर और अलवर में प्रचार का कार्य किया ।
(१३) बाबू मिलापचंदजी मेहता और बाबू शान्तिलालजी
आपलोग २६ मेम्बर बनाया तथा सम्मेलन के सहायतार्थ रु०५२) चंदा संग्रह किया और निम्नलिखित स्थानों में प्रचार किया :
बाडमेर, हाला, करांची, और जैसलमेर ।
( १४ ) बाबू धनकरणजो चोरड़िया और बाबू उमरावमलजी लूणिया ने निम्नलिखित स्थानों में प्रचार का कार्य किया :
नीमच, सितारा, सोलापुर, कोलापुर, बैलगाव, धाडवार, बंगलोर, मद्रास, हैदराबाद, डेकान, कामठी, सिवोनी, नरसिंगपुर, दमोह, झांसी और दतिया ।
तत्पश्चात् मंत्रीजी ने ता० ६-६-३२ को विज्ञप्ति नं० ६ प्रकाशित किया। इसमें स्वागत समिति के द्वारा भिन्न २ स्थानों में भेजे हुए डेपुटेशनों का उल्लेख तथा सम्मेलन के अधिवेशन की तैयारी की चर्चा है
आगे चल कर अधिवेशन को पूर्ण सफलता के लिये सुयोग्य स्वागताध्यक्ष और सभापति के चुनाव के विषय में मुष्टिमेय कार्यकर्त्ताओं को विशेष कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। स्वागताध्यक्ष का पद ग्रहण करने के लिये स्थानीय सज्जनों से बारंबार आग्रह किया गया लेकिन वे लोग इस भार को उठाने के लिये तैयार न हुए। इस उत्तरदायित्वपूर्ण भार को उठाने के लिये आसपास के भी कोई सज्जन तैयार न थे ।
सौभाग्यवश अपने समाज के प्रसिद्ध कार्यकर्त्ता जामनेर निवासी सेंठ राजमलजी ललवाणी साहेब से प्रार्थना की गई और उन्होंने सहृदयतापूर्वक इस भार को स्वीकार किया । इतना ही नहीं, आपने इस कार्य में विशेष उत्साह दिखलाया और आर्थिक सहायता देने का भी वचन दिया ।
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