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( १४ ) ५-कई कहने लगे कि दादाजी जीवित थे तब देव द्रव्य मक्षण के कारण चैत्यवासियों की निन्दा करते थे तो क्या वही दादाजी देव द्रव्य के मकान में रह कर देव द्रव्य की केसर चन्दन से अपनी पूजा करवा कर देव द्रव्य भक्षी बनेंगे ? नहीं नहीं कदापि नहीं । हाँ, खरतरा दादाजी को जबरन् देव द्रव्य भक्षी बनादें तो बात दूसरी है।
६-भाई साहिब ! दादाजी आज कोई नया क्लेश नहीं फैला रहे हैं आप तो अपने जीवन में क्या स्वगच्छीय + क्या परगच्छीय सब के अन्दर फूट कुसम्प की भट्टियें धधकादी थीं जिसके कटुफल जैन समाज आजपर्यन्त चाख ही रहा है। पर शेष कुछ रह गया था जिस विष वमन को दादाजी ने नागोर ही पसंद किया है। . __ -क्यों भाई दादाजी जब कभी परचा देते हैं तो खरतरोंखरतरों को ही देते हैं यदि एकाध चमत्कार तपागच्छ वालों को बतलादें तो वे सब तपा ही स्वरतरे बन जायँ कि यह सब मगड़ा निर्मूल हो जाय ।
८-कई ने कहा कि जिस समय मुसलमान लोग दादाजी
दादाजी का ही प्रताप है कि आपके गुरु भाई जिन शेखरसूरि दादाजी से अलग हो रुद्रपाली नामक एक अलग गच्छ निकाला और इसी कारण खरतर गच्छ में क्लेस कदाग्रह एवं फूट पड़ गई।
+ भगवान् महाबीर के पांच कल्याण के बदले छ; कल्याण की प्ररूपण करके तथा पाटण में दादाजी स्त्री पूजा का निधषे कर श्री संघ में बडा भारी क्लेश कुसम्प फैलाया और वह आज पर्यन्त भी विद्यमान है।
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