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________________ मारवाड़ का इतिहास के लिये भेजा । लेकिन बात चीत के सिलसिले में झगड़ा हो जाने के कारण सरदार लोग लौट कर बनाड़ की तरफ़ चले गए । इसकी सूचना मिलने पर महाराज ने फिर फतैचन्द आदि के द्वारा उन्हें समझाने की बहुत कुछ चेष्ठा की, परन्तु सरदार लोग जोधपुर न आकर बीसलपुर की तरफ़ चल दिए । इस प्रकार आपस के विरोध को बढ़ता देख स्वयं महाराज उन्हें समझाने को रवाना हुए । जैसे ही सरदारों को महाराज के आने की सूचना मिली, वैसे ही उन्होंने सामने आकर इनकी पेशवाई की और दूसरे ही दिन वे सब महाराज के साथ जोधपुर चले आए। ____ वि० सं० १८१६ की फागुन बदी १ (ई० सन् १७६० की २ फरवरी ) को महाराज के गुरु आत्मारामजी का देहान्त हो गया । उनकी समाधि के समय बड़े-बड़े सरदारों को किले पर उपस्थित होने की आज्ञा दी गई थी। इसके अनुसार जब पौकरन, रास, आसोप और नींबाज के ठाकुर किले पर आए, तब उनके साथ के सारे आदमी किले की पोल के बाहर ही रोक लिए गए, और इसके बाद रानियों के आत्मारामजी के शव के अन्तिम-दर्शन करने को आने का बहाना बना कर उक्त पौल के द्वार बन्द करदिए गए । अन्त में खिची गोरधन और (धायभाई ) जगन्नाथ की सलाह से, रास्ते की कोठरियो में विदेशी सैनिकों को छिपाकर और किले का सब से ऊपर का द्वार बंद करवा कर, सरदारों को ऊपर आने को कहलाया गया । इस पर जैसे ही सब सरदार नक्कार खाने की पौल से आगे बढे, वैसे ही मार्ग की कोठरियों में छिपे सैनिकों ने बाहर आकर एकाएक उन पर हमला कर दिया । इससे पौकरन-ठाकुर देवीसिंह, रास-ठाकुर केसरीसिंह, आसोप-ठाकुर छत्रसिंह और नींबाज-ठाकुर दौलतसिंह पकड़े जाकर कैद करलिए गएं । १. किसी किसी ख्यात में इस पौल का नाम अमृती पौल लिखा है । २. इनमें से ठाकुर दौलतसिंह बाद में छोड़ दिया गया, परंतु अन्य तीनों ठाकुरों का अन्त कैद में ही हुआ । इस विषय का यह दोहा मारवाड़ में प्रसिद्ध है:-- केहर देवो छत्रसी, दल्लो राजकुमार । मरते मोडे मारिया, चोटी वाला चार ॥ कर्नल टॉड ने ६ ठाकुरों का कैद किया जाना लिखा है । ( एनाल्स सेण्ड ऐन्टिक्विटीज़ प्रॉफ राजस्थान, भाग २, पृ. १०७० ) परंतु ख्यातों से यह बात सिद्ध नहीं होती। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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