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________________ महाराजा अभयसिंहजी ( द्वितीय ) की प्रार्थना पर महाराज ने भी अपने दो हजार सवार रीयाँ ठाकुर शेरसिंह और ऊदावत कल्याणसिंह के साथ माधोसिंहजी की सहायता को भेज दिए । वि० सं० १८०६ की आषाढ़ सुदी १५ ( ई० सन् १७४६ की १९ जून ) को अजमेर में महाराजा अभयसिंहजी का स्वर्गवास हो गया । महाराजा अभयसिंहजी अपने पिता के समान ही वीर, साहसी, बुद्धिमान् और दानी थे। महाराजा अभयसिंहजी के महाराजकुमार का नाम रामसिंहजी या । महाराज अभयसिंहजी ने निम्न-लिखित स्थान बनवाए थे: अभयसागर तालाव (जोधपुर के चाँदपोल दरवाजे के बाहर ), चौखाँ गाँव का बगीचा, अठपहलू फॅश्रा, कोट और महल (इन महलों का बनना प्रारंभ होकर ही रह गया था), महाराजा अजितसिंहजी का देवल ( यह मंडोर में है। पर उनके समय १. इस युद्ध में ईश्वरीसिंहजी की पराजय हुई। इसी से उन्हें उम्मैदसिंहजी को बंदी और माधोसिंहजी को टोंक के ४ परगने देने पड़े । (राजपूताने का इतिहास, खण्ड ३ पृ०६४७)। २. किशनगढ़ नरेश महाराजा राजसिंहजी के चतुर्थ पुत्र बहादुरसिंहजी पर महाराज की पूर्ण कृपा थी। ३. महाराज ने शायद निम्नलिखित ७ गाँव दान दिए थे: १. पालावास, २. लोलावस (जोधपुर परगने का) ३. फॅपड़ावास (बीलाड़ा परगने का) ४. टाटरवा, ५. राँणावास ( मेड़ते परगने का) और ६. चाँचलवा (शेरगढ़ परगने का)। इनमें का पिछला गाँव वि० सं० १७८६ में और बाकी के वि० सं० १७८१ (ई० सन् १७२४) में दिए गए थे । इनके अलावा वि० सं० १७८६ (ई० सन् १७२६ ) में इन्होंने गोसाईजी को कोटे से बुलवाकर चौपासनी नामक गाँव दिया था, और साथ ही उनके लिये मारवाड़ के प्रत्येक गाँव के पीछे १ रुपया लाग का नियत कर दिया था। ४. वि० सं० १७८२ की फागुन बदी ६ के महाराज की तरफ से लिखे गए एक पट्टे में इनके महाराजकुमार का नाम ज़ोरावरसिंह लिखा है (यह बात पहले भी यथास्थान फुटनोट में लिखी जा चुकी है)। ३५७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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