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महाराजा अभयसिंहजी बड़ोदे पर अधिकार करने में, पीलाजी के विरुद्ध, अजमतुल्ला की सहायता करने को तैयार किया । उस समय महाराज की तरफ़ से बड़ोदे का शासन- भार अमतुल्ला को सौंपा हुआ था । इसी के अनुसार महाराज की और पेशवा की सम्मिलित सेनाओं ने बड़ोदे पर चढ़ाई की । परंतु इसी बीच सूचना मिली कि निजामुल्मुल्क स्वयं बाजीराव पेशवा को दबाने के लिये गुजरात की तरफ़ चला आ रहा है । इस पर पेशवा बड़ोदे की चढ़ाई का विचार छोड़कर दक्षिण की तरफ़ चला गया ।
१. महाराज के अपने वकील के नाम लिखे, वि० सं० १७८७ की चैत्र सुदी १४ के, पत्र में लिखा है:
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त्र्यंबकराव दाभाडे से हमारी और बाजीराव की सनाओं का युद्ध हुआ । इसमें त्र्यंबकराव, निज़ाम की फ़ौज का सरदार मुग़ल मौमीनयारखाँ और मूलाजी पँवार मारे गये; और पँवार ऊदा, चिमना और पंडित साथ ही पीलू का बेटा भी पकड़ा गया । इस प्रकार हमारी विजय हुई। पीलू, कंठा और आनंदराव की फ़ौजें भागीं । पीलू भागकर डभोई में जा छिपा । बड़ोदे का प्रबंध उसके भाई के हाथ में है । दोनों स्थानों पर हमारी फ़ौजें पहुँच गई हैं। शीघ्र ही दोनों स्थान उनसे खाली करवा लिये जायँगे । कंठा भागकर निज़ाम के पास गया है। इसलिये तुम नवाब से कहकर निज़ाम को बादशाह की तरफ़ से हिदायत करवा देना, जिससे वह हमारे कथनानुसार चले, और कंठा, पीलू वगैरह को पनाह न दे | इस युद्ध में निज़ाम की फ़ौज भी मारी गई है। इससे मुमकिन है निज़ाम इधर चढ़ आवे, और उससे युद्ध हो । अतः बादशाह से शीघ्र ही उसको हिदायत करवा दी जाय ।
इस बार बाजीराव ने बादशाह की अच्छी सेवा की है । इसलिये उसको और राजा साहू को खिलत, फ़रमान और हाथी तथा चिमना को खिलअत भिजवाने की कोशिश होनी चाहिए। साथ ही नवाब से बातचीत कर इनके लिये मनसब की भी कोशिश होनी चाहिए । निजामुल्मुल्क के कहने से नवाब ने लिखा है कि बाजीराव को किसी प्रकार की मदद न देकर निकाल दो । परंतु बाजीराव ने बादशाह की सहायता की है। पीलू और कंठा आठ वर्ष से परगने दबाए बैठे हैं। ऐसी हालत में यदि नवाब लोगों के कहने से गढ़बड़ करेगा, तो हम गुजरात का सूबा छोड़कर चले आयेंगे। निज़ाम तो सिर्फ़ हम लोगों को आपस में लड़ाना चाहता है । यदि वह इधर आया, तो अवश्य ही उसे दंड दिया जायगा ।
वि० सं० १७८७ की चैत्र सुदी १४ के दूसरे पत्र में महाराज ने लिखा है कि बाजीराव के पत्र से ज्ञात हुआ कि निज़ाम ने हमारे और बादशाह के असली पत्र उस ( बाजीराव ) के पास भेजकर उसको लिखा है कि बादशाह तो उसे पकड़ना या दंड देना चाहता है, और वह नाहक ही अपने सजातीयों से लड़कर अपना बल क्षीण कर रहा है । इस पर उसका विश्वास उठ गया है, और वह यहाँ से जाना चाहता है । इसलिये उसके नाम का फ़रमान शीघ्र भिजवाना चाहिए, वरना वह चला जायगा । नवाब को भी अब निज़ाम से सावधान हो जाना चाहिए। इस समय कंठा निजामुल्मुल्क के पास गया हुआ है। अगर वह यहाँ वापस आवेगा, तो अवश्य ही मारा जायगा ।
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