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________________ महाराजा अभयसिंहजी वि० सं० १७८४ के श्रावण ( ई० सन् १७२७ के जून-जुलाई ) के करीब ( बादशाह मुहम्मदशाह के बुलाने पर ) महाराज लौटकर दिल्ली चले गएं और इसी वर्ष के कार्तिक में इन्होंने गढमुक्तेश्वर की यात्रा की । वि० सं० १७८५ ( ई० सन् १७२८) में आनन्दसिंहजी और रायसिंहजी ने ईडर पर अधिकार कर लिया । यद्यपि उस समय उक्त प्रदेश महाराज के मनसब में था, तथापि इन्होंने मारवाड़ की तरफ़ का उपद्रव शांत होता देख इसमें कुछ भी आपत्ति नहीं की। १. अभयोदय, सर्ग ७, श्लो० ४१-४२ । 'राजरूपक' में लिखा है कि मार्ग में परबतसर पहुँचने पर महाराज को चेचक निकल आई थी। ( देखो पृ० २७८)। २. अभयोदये, सर्ग ८, श्लो० २। ३. रासमाला, भा॰ २, पृ० १२५ की टिप्पणी १ । ४. वि. सं. १७८२ की भादौं सुदी ५ के, महाराज के नाम लिखे, पंचोली दौलतसिंह के. पत्र से इसी समय बादशाह की तरफ से महाराज को ईडर और थिराद का मिलना प्रकट होता है। ५. इसी बीच महाराना संग्रामसिंहजी (द्वितीय) ने ईडर-प्रांत को ठेके के तौर पर लेने के लिये, जयपुर-नरेश सवाई राजा जयसिंहजी के द्वारा, महाराज से बात तय करना चाहा । महाराज ने भी रायसिंहजी से तंग आकर उनकी यह प्रार्थना स्वीकार करली । इससे वहाँ का बहुत-सा प्रांत मेवाड़ के राज्य में मिला लिया गया। वि० सं० १७८६ की श्रावण बदी ८ के, और वि० सं० १७८६ (चैत्रादि सं० १७८७) की ज्येष्ठ सुदी ७ के राजाधिराज बखतसिंहजी के पंचोली बालकृष्ण के नाम लिखे पत्रों से प्रकट होता है कि उस समय तक महाराज ने रायसिंहजी और आनन्दसिंहजी का ईडर पर का अधिकार स्वीकार नहीं किया था। इससे ज्ञात होता है कि यह अधिकार बाद में ही स्वीकार किया गया होगा । 'गुजरात राजस्थान' में लिखा है कि आनन्दसिंहजी ने वि० सं० १७८७ की फागुन सुदि ७ (ई. सन् १७३१ की ४ मार्च) को ईडर में प्रवेश किया था। नहीं कह सकते कि यह कहां तक ठीक है । वि० सं० १७६४ की माघ सुदी ७ के आनन्दसिंहजी और रायसिंहजी के लिखे पुष्करणे ब्राह्मण जग्गू ( जगन्नाथ ) के नाम के पत्र में लिखा है कि तूने ही हमको महाराज से कहकर ईडर का राज्य दिलवाया है । इसलिये त् अपने किसी वंशज को यहाँ भेज दे। ३३५ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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