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________________ मारवाड़ का इतिहास परन्तु कायस्थ फ़तहसिंह को उन्होंने अपना नायब बनाकर वहाँ का प्रबंध करने के लिये जूनागढ़ भेज दिया । इसके बाद वि० सं० १७७२ के ज्येष्ठ (ई० सन् १७१५ की मई ) में महाराज-कुमार लौटकर जोधपुर चले आए । इसी वर्ष ( वि० सं० १७७२ ई० सन् १७१५ में ) महाराज को गुजरात की सूबेदारी और ५,००० सवारों का मंसव मिलों में इस पर यह जालोर होते हुए भीनमाल पहुँचे और वहाँ से व्यास दीपचंद की सलाह से चाँपावत हरिसिंह और भाटी खेतसी को जैतावत दुर्जनसिंह और बनावटी दलथंभन के पीछे रवाना किया । इनको आज्ञा दी गई थी कि ये उक्त दुर्जनसिंह और दलथंभन का पता लगाकर उन्हें मार डालें । (इसी के साथ मेड़ते के शासक पेमसी को भी नागोर पर चढ़ाई करने की आज्ञा भेजी गई।) इसके बाद महाराज बड़गाँव की तरफ़ होते हुए आबू के पास पहुंचे और वहाँ के देवड़ा शक्तिसिंह को हराकर पालनपुर की तरफ़ चले। इन्हें आया देख वहाँ के यवन-शासक (फ़ीरोजखाँ) ने और वावड़ी के पंचायण ने इनसे संधि कर ली। इसके बाद यह कोलीवाड़े से कर लेते हुए पाटन पहुँचे। यहाँ से महाराज ने अपनी सेना के एक भाग को मालगढ़ पर चढ़ाई करने की आज्ञा दी, और दूसरे भाग के साथ यह स्वयं अहमदाबाद की तरफ़ चले । महाराज की आज्ञा के अनुसार सेना का वह भाग भी कोलियों के उपद्रव को शांत कर मार्ग में महाराज से आ मिला । इसके बाद यह अहमदाबाद पहुँच वहाँ के सूबे का प्रबंध करने में लग गएँ । __१. बाँबे गजेटियर, भा १, खंड १, पृ. २६७ । २. बाँबे गजेटियर, भा॰ १, खंड १, पृ. २६६ और 'लेटर मुगल्स' भा० १, पृ. २६ - का फुटनोट । महाराजा अजितसिंहजी के नाम का अहमदाबाद की सुबेदारी का फरमान बादशाह फर्रुखसियर के सने जलूस ३ की २३ ज़िलहिज ( वि. सं. १७७२ की पौष बदी १० ई. स. १७१५ की ६ दिसम्बर ) को लिखा गया था। इस फरमान में बादशाह की तरफ़ से महाराज को एक खिलअत दिए जाने का भी उल्लेख है। ३. 'राजरूपक' में भादों के अंत तक महाराज का जालोर में निवास करना लिखा है । (देखो पृ. १६८)। ४. अजितोदय, सर्ग २२, श्लो. ७-३५ । उक्त काव्य में दलथंभन का उल्लेख नहीं है, क्योंकि उसके लेखानुसार वह सोजत के युद्ध में ही मारा गया था। ३०८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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