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________________ महाराजा अजितसिंहजी कुछ दिन बाद महाराज ने फिर अजमेर पर चढ़ाई कर वहां के शाही हाकिम को तंग करना शुरू किया । यह देख उसने बहुत-सा द्रव्य देकर इनसे संघि कर ली। इस पर यह देवलिये होते हुए जोधपुर चले आए। इसी प्रकार महाराज के पराक्रम के सामने साँभर और डीडवाने के शाही अधिकारियों को भी सिर झुकाना पड़ा । इसकी सूचना पाकर बादशाह इनसे और भी नाराज हो गया। इसके बाद वह दक्षिण में अपने भाई कामबर्श के मारे जाने से निश्चिन्त होकर अजमेर की तरफ लौटा । जब उसके नर्मदा से इस पार आने की सूचना मिली, तब -- - - - - - - मुकुन्ददास के सेवक गुहिलोत धंना और चौहान भीयां ने ( जो मामू भानजे थे ) किले में ही प्रतापसिंह को मार कर अपने स्वामी का बदला लिया । ख्यातों के अनुसार यह घटना वि. सं० १७६५ में हुई थी। इस विषय का यह दोहा मारवाड़ में प्रचलित है: प्राजूणी अधरात, मैहलां जु रोई मुकनरी । पातल री परभात, भली रुपाणी भीमड़ा ॥ १. 'वीर विनोद' में मुद्रित शाहपुरे के राजा भारतसिंहजी के, वि० सं० १७६५ की माघ सुदी ६ ( ई० सन् १७०६ की ६ जनवरी) के, पत्र से और उनके मुत्सद्दियों के वि० सं० १७६५ की चैत्र बदी ३ (ई० सन् १७०६ की १६ फ़रवरी) के पत्र से जो उदयपुर के पंचोली बिहारीदास के नाम लिखे गए थे, प्रकट होता है कि भारतसिंहजी के बादशाह के साथ दक्षिण में होने और अजितसिंहजी के अजमेरवालों से दंड वसूल करने से उत्साहित होकर अजमेर प्रांत के राठोड़-सरदारों ने शाहपुरेवालों को तंग करना शुरू किया था । अतः लाचार हो, उन्होंने ये पत्र, सहायता के लिये, उदयपुरवालों को लिखे थे। २. अजितोदय, सर्ग १६, श्लो० ६-१४ | ३. अजितोदय, सर्ग १६, श्लो० १७-१८ । 'वीरविनोद' में प्रकाशित नवाब असदखाँ के, हि • सन् ११२१ की ११ सफ़र (वि० सं० १७६६ की प्रथम वैशाख सुदी १३ = ई० सन् १७०६ की ११ अप्रेल ) के, पत्र से, जो अजमेर के सूबेदार शुजाअतखाँ के नाम लिखा गया था, प्रकट होता है कि उस (असदखाँ) की पूर्ण हच्छा थी कि मारवाड़ और मेवाड़ के नरेशों को समझा-बुझाकर अपनी तरफ़ कर लिया जाय । ४. मि. विलियम हरविन ने अपने 'लेटरमुगल्स' नामक इतिहास में कामबख्श का ई० सन् १७०६ की जनवरी में मरना लिखा है । ( देखो भा० १, पृ०. ६२-६४ ) इसके २६६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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