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________________ महाराजा अजितसिंहजी महाराजकुमार राजसमंद तालाब पर रहने लगे । इसके बाद दुर्गादास आदि राठोड़ सरदार लौटकर मारवाड़ में चले आए। वि० सं० १७४६ ( ई० सन् १६९२ ) में औरङ्गजेब ने शाहजादे मुहम्मद अकबर की कन्या को दुर्गादास से वापस लेने की कोशिश शुरू की । परन्तु इसका कुछ भी नतीजा न हुआ । उलटा राठोड़-सरदारों का उपद्रव और भी बढ़ गया । इस पर शुजाअतखाँ खुद जोधपुर आया, और उसने कुछ बड़े-बड़े सरदारों को उनकी जागीरें लोटाकर अपनी तरफ़ मिला लेने की चेष्टा की। उसी की आज्ञा से काज़िमबेग ने भी दुर्गादास पर चढ़ाई कर उसके दल को बिखेर दिया । परन्तु पूरी सफलता न होने के कारण पहले के समान ही मोहकमसिंह को मेड़ते में छोड़ शुजाअतखाँ गुजरात को लौट गया। ख्यातों में लिखा है कि यद्यपि महाराज दुर्गादास से विना पूछे ही अजमेर की तरफ चले गए थे, तथापि सिवाने के इस प्रकार हाथ से निकल जाने के कारण दुर्गादास को बहुत दुःख हुआ, और वह फिर उदासीन होकर घर बैठ रहा । इस पर महाराज वि० सं० १७५० ( ई० सन्० १६६३ ) में फिर उससे मिलने के लिये भीमरलाई पहुँचे । इसकी सूचना पाते ही दुर्गादास ने आगे आ महाराज की अभ्यर्थना की। परन्तु पीछे से आने का वादा कर महाराज के साथ चलने से इनकार कर दिया । यह बात महाराज को बुरी लगी, और वह कुछ असन्तुष्ट होकर कुंडल की तरफ़ लौट गएँ । वि० सं० १७५० ( ई० सन् १६६३ ) में मुसलमानों की सम्मिलित सेनाओं ने मोकलसर के बाला अखैसिंह पर चढ़ाई की । परन्तु बाला राठोड़ों ने बड़ी वीरता से इनका सामना किया । इसी प्रकार और भी कई जगह शाही और महाराज की सेनाओं के बीच मुठभेड़ें हुईं । इस वर्ष भी शुजाअत को राठोड़ों के उपद्रव के कारण दो बार मारवाड़ में आना पड़ा। १. 'अजितोदय' सर्ग १५, श्ला० १-१७ । 'वीरविनोद' में प्रकाशित मारवाड़ के इतिहास में इस घटना का समय वि० सं० १७४६ ( ई. सन् १६६२ ) लिखा है । २. 'मासिरेआलमगीरी' में पुत्र लिखा है । ( देखो पृ० ३६५)। ३. बाँबेगजेटियर, भा० १, खंड १, पृ० २८६ । उसी में यह भी लिखा है कि शुजाअतखाँ साल में ६ महीने जोधपुर में रह कर यहाँ के उपद्रव को दबाने में लगा रहता था। ४. यह बात 'राजरूपक' और 'अजितोदय' में नहीं लिखी है । ५. बाँबेगजेटियर, भा० १, खंड १, पृ० २८६ । २८३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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