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________________ मारवाड़ का इतिहास साथ हो लिए । परन्तु फिर मार्ग से ही ये दोनों उसका साथ छोड़ अपनी अपनी राजधानियों की तरफ चले आए। वि० सं० १६८४ की माघ सुदि १० (ई० सैन् १६२८ की ४ फ़रवरी) को शाहजहाँ आगरे पहुँच कर तख़्त पर बैठौं । इस पर फागुन बदी ४ (१३ फ़रवरी ) को राजा गजसिंहजी भी जोधपुर से आगरे जा पहुँचे । यद्यपि इन्होंने बादशाह जहाँगीर के कहने से परवेज़ के साथ जाकर दो बार खुर्रम ( शाहजहाँ) को सम्मुख रण से भागने पर बाध्य किया था, तथापि इनकी वीरता और साहस का विचार कर उसने इस अवसर पर इनका बड़ा आदर सत्कार किया, और खासा खिलअत, जड़ाऊ खंजर, फूलकटार, जड़ाऊ तलवार, खासे अस्तबल का सुनहरी जीनवाला घोड़ा, खासा हाथी, नक्कारा और निशान देकर बादशाह जहाँगीर के समय का इनका पाँच हज़ारी जात और पाँच हजार सवारों का मनसब यथानियम स्वीकार कर लिया। इसके बाद राजा गजसिंहजी ने शाहजहाँ की इच्छानुसार सीसोदरी (फतहपुर सिकरी के निकट ) के किले पर चढ़ाई कर वहाँ के बागियों को सर कियो । वि० सं० १६८६ की चैत बदी ७ (ई० सन् १६३० की २३ फ़रवरी) को शाहजहाँ ने निजामुलमुल्क और खाँजहाँ लोदी को दंड देने के लिये तीन सेनाऐं बालाघाट की तरफ रवाना की। इनमें से एक सेना के सेनापति राजा गजसिंहजी बनाए गएँ । इन्होंने इस बार भी शत्रुओं का दमन करने में अच्छी वीरता दिखाई। इसके बाद वि० सं० १६८७ के सावन (ई० सन् १६३० की जुलाई) में बादशाह ने इन्हें अपने १. 'बादशाहनामा', भा० १, पृ० ७६ । २. 'क्रॉनॉलॉजी ऑफ मॉडर्न इंडिया' में उस दिन फरवरी की १४ तारीख़ होना लिखा है । यह चिंत्य है (देखो पृ० ८३)। ३. 'बादशाहनामा', जिल्द १, पृ० ८७ । ४. 'बादशाहनामा', भा० १, पृ० १५८-१५६ । ५. 'गुणभाषाचित्र' में लिखा है कि बुंदेला वरसिंह का पुत्र जोगराज बागी हो गया था। जब बादशाह ने उसे दंड देने के लिये चढ़ाई की, तब महाराज गजसिंहजी भी उसके साथ थे । वहाँ पर के युद्ध में इन्होंने अच्छी वीरता दिखाई । इससे जोगराज को परास्त होना पड़ा (देखो पृ० ७७)। ६. इस सेना में हिन्दू और मुसलमान, कुल मिला कर करीब २७ शाही मनसबदार और अमीर तथा १५,००० सवार थे । 'बादशाहनामा' भा० १, पृ० २६४ । २०६ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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