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मारवाड़ का निहार
२५. सानन्द्रसेनजी
3 बाई 75 १५. वन डे
मो . अरे । इनका जन्म वि० म:
: मार्ट को हुआ था।
र मालदया ::
:: : ० सं० १६१६ की नमामि बदि ५ ( इ
. . . . धपुर की गद्दी पर। इनमें रान्य
नागासी घटना के कारण कुछ मरतार न है। ए अर
से न जी के तीनों बड़े भाइयों के
मान कर उन्हे .. .. अधिकार करने को उकसाना प्रार . इनके असे : .: .:: और दूसरे भाई रायमन ... 3 व शुरू वि.
म जी ने अचानक आकर ... र प्राधिकार का
ना पाते ही राव मान्दो पर चढ़ाई की । पर 3जी नवाधिकृत प्रदेश
आई...::: ..!फ़ लो इले । परन्न लाहावट में पहुँको हुँचते दोनों सेनाओं का र बह! के युद्ध में चन्द्रसेनजी की ललर उदयसिंहजी के
पायल : + का वित। बन्दसेनजी के ही हाथ रही । इक बाद एक बार तो न ई से आप परन्तु फिर घ्रि दो इहोंने सेना लेकर फलोदी पर
...:..: . भ.५४३ में ही गव मालदेवजी में इन्हें बीमल पुर और ना जार में दे दिया य । इस लिये बड़े हो पा यह अधिकार वहीं रहा करते थे।
देहान्त वी गुनना प ही यह वहां के दुगो दिन जोधपुर पहुँच गए और पिता .. सानुसार र कर प्रम कर लेने पर इन अपनी सिवा की जागर अपने
भाई रायमल्ट को दे दो ! : इ रायमल्ल म ल वजी का द्विती: त्र था। 1. बर राव चंद्र का अपराधी दाम भागकर (जैमारे पुत्र) जैतमाल के पास मन गया था । पता ने अपने अदमी भेजकर उमक पकड़वा मँगवाया । इस
माल ने दाया कि बाइक जहां तक हो, प्राणदं न कर अन्य किसी प्रकार ' की अाज हम १६ राव चंद्र नजी श्री. भी नाराज हो गए और उस ' ने तत्काल प्रासादड देने ना जा दे दी । इसी तमाल और उससे मेल
..'ले कुछ यसरदार इनर हो गए थे। - 7 राव चद मेनन के तीनो इयों में सब बड़ा भाई राम अपनी जागीर
२. दुमरा रसा सिवाने में और उदयसिंह फलोदी में था।
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