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________________ मारवाड़ का इतिहास १ राम, २ रायमल, ३ रत्नसिंह, ४ भोजराज, ५ उदयसिंहजी, ६ चंद्रसेनजी, ७ भांण, ८ विक्रमादित्य, र आसकरण, १० गोपालदास, ११ जसवंतसिंह, १२ महेशदास, १३ तिलोकसी, १४ पृथ्वीराज, १५ डूंगरसी, १६ जैमल, १७ नेतसी, १८ लिखमीदास, १९ रूपसी, २० तेजसी, २१ ठाकुरसी, २२ कल्याणदास । रावजी ने छोटे-बड़े अनेक गाँव दान किए थे। १. इसका जन्म वि० सं० १५८६ की फागुन सुदि १५ को हुआ था । परन्तु इसके तरुण होने पर राव मालदेवजी को इसके बागी होकर राज्य पर अधिकार कर लेने के विचार की सूचना मिलने से उन्होंने इसे मारवाड़ से बाहर चले जाने की आज्ञा देदी । इसने हि० स०६८ (वि० सं० १६२६ ई० सन् १५७२ ) में बादशाही सेना के साथ रहकर इब्राहीम हुसेन मिर्जा को हराने में अच्छी वीरता दिखाई थी । (अकबरनामा, भा० ३, पृ. ३५ और तबक़ाते अकबरी, पृ० ३०१) इसी राम ने अथवा इसके वंशज ने अमझेरे (मालवे ) में एक छोटे राज्य की स्थापना की थी। परन्तु वि० सं० १९१४ (ई. सन् १८५७) में वहाँ के शासक के बागियों के साथ मिल जाने से भारत सरकार के द्वारा वह राज्य सिंधिया के हवाले कर दिया गया। २. इसका जन्म वि० सं० १५८६ की आश्विन सुदि ८ को हुआ था। ३. इसका जन्म वि० सं० १५६० की मँगसिर सुदि ८ को हुआ था । ४. १ बीकरलाई-आधी २ मोराई (जैतारण परगने के), ३ बाड़ा-खुर्द (बीलाड़ा परगने का), ४ केलणकोट ५ सीतली (पचपदरा परगने के), ६ नैरवा ( जालोर परगने का ), ७ खेड़ापा ८ बीगवी : भैसेर-कोटवाली १० भैसेर-कुतडी ११ बासणी भाटियां १२ दंढोग (जोधपुर परगने के), १३ धोलेरिया-खुर्द १४ सूकरलाई (पाली-परगने के), १५ मालपुरिया कलां १६ रूपावास १७ बडियाला १८ तालका १६ चारवाम (सोजत परगने के) पुरोहितों को; २० खिनावड़ी आधी (जैतारण परगने की), २१ जोधड़ावास (नागोर परगने का), २२ इकराणी २३ रीछोली २४ रवाडा-मयां २५ रवाडा-बारठां २६ मेडीवासण (पचपदरा परगने के). २७ साकडावास ( पाली परगने का ), २८ प्रांबा खेड़ा २६ जोधड़ावास.खुर्द आधा ( मेड़ता परगने के ), ३. खारी-कलां चारणां ३१ चौपासणी चारणां ३२ रलावास ३३ लाखड़ यूंब (जोधपुर परगने के), ३४ ढीगारिया (डीडवाना परगने का) चारणों को; ३५ कानावास ३६ मालपुरिया खुर्द (सोजत परगने के), ३७ बीदासणी ३८ लोरडी-डोलियावास ३६ सूरजवासणी ( जोधपुर परगने के ), ४० कारोलिया (जैतारण परगने का ) ब्राह्मणों को। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034553
Book TitleMarwad Ka Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishweshwarnath Reu
PublisherArcheaological Department Jodhpur
Publication Year1938
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size369 MB
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