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* जम्म*
[५५ बड़ा काम करने में शोभा है; इसलिए नाम करण समय विवेक पूर्वक नाम,स्थापन करना चाहिए.
(शैशवकाल) अब भगवान महावीर बडे होने लगे. काले बालसुन्दर नेत्र-रक्त ओष्ठ और धवल दन्त पंक्ति से शोभित , देवों और इन्द्रों से भी अधिक गौरवर्ण वाले ; एवं विकशित कमल सुगंध के मानिन्द श्वासोच्छ्वास वाले बड़े सुन्दर नजर आते थे- भगवान् जब आठ वर्ष की उम्र के थे तब समवयष्कों के साथ अनेक खेल-कूद करते थे. एक समय अनेक हमउम्र वालों के साथ आम्ल क्रीड़ा करने को चले गये. इस वक्त शकेन्द्र ने अपनी इन्द्र सभा में भगवान् के अलौकिक पराक्रम का बयान किया, एक श्रद्धाहीन देव ने परीक्षार्थ इस आम्ल क्रीड़ा में शरीक होकर सादिके भय से डराने का प्रयत्न किया , आखिर हारकर वर्धमान कुमार को नियमानुसार कन्धे पर चढाये
और भयभीत करने के लिये सात ताड़ प्रमाण लम्बा शरीर बनाया; ताहम भी भगवान् क्षुब्ध न हुए; प्रत्युत बल पूर्वक उस देव के मस्तक पर मुष्ठी प्रहार किया जिससे आक्रन्दकारी शब्द करता हुवा धराशायी होगया, इससे बड़ा लजित हुवा, यहाँ इस देव को सम्यक्त्व उपार्जन हुवा ;
ऐसी भयभीत अवस्था में साथी बालक सब रफ़्फूचकर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com