________________
* जन्म *
[५३
पिस्ता, दाख, नेजा, अखरोटादि मेवा था. हरे नारियल, केले , अनार, सन्तरे आदि फल थे; इत्यादि अगणित द्रव्यों का भोजन कराया; बाद पान सुपारी देकर भारी सत्कार किया.
प्रकाश- जन्म महोत्सव का विवरण तो कल्पसूत्र के टीकाकारों ने साङ्गोपाङ्ग किया है. एक नृपेन्द्र की हैसियत से पुत्र का जन्म महोत्सव करना चाहिए उससे भी महाराजा सिद्धार्थ ने अधिक किया. विशिष्ट बात तो यह है कि दस दिन तक प्रजाजन निश्चिन्त रहे और आनन्द पूर्वक लीला लहर से समय व्यतीत किया, अनेक कर माफ कर दिये गये , तौल-नाप और माप बढा दिया, देव-गुरु-धर्म की महति सेवा की, दान-मान-सन्मान की भारी वृद्धि हुई . अपराधियों को कारावास से मुक्त कर सुखी बना दिये और लाखों रुपया सुकृत में लगाया गया भगवान् महावीर का ही यह पुण्य प्रकाश है कि इस तरह जन्म महोत्सव हुवा- नरेन्द्रों इससे पाठ शीखें और सामान्य वर्ग ऐसे समय पर शक्ति-भर पारमार्थिक कार्य करें; यह ऐच्छनीय है.
(नाम करण) भोजन कर लेने के पश्चात् तमाम लोग महाराजा सिद्धार्थ के सामने बैठ गये, तमामों ने हार्दिक हर्ष व्यक्त Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com