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* जन्म *
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तमाशादि शुरू कराओ और मंगल के लिये हजार यज्ञस्तम्भखड़े कराओ- हर्षित होकर आदेशी पुरुषों ने आदेशानुसार तमाम कार्य सम्पन्न किये-कराये और महाराजा को आकर नमन पूर्वक निवेदन किया.
पश्चात सिद्धार्थ राजेन्द्र अपने दैहिक तमाम कार्यों से निवृत होकर दस दिन तक अपनी ऋद्धि-समृद्धि से अभूतपूर्व जन्म महोत्सव करता है , महोत्सव में तमाम सुख पूर्वक भाग ले सकें इसलिये यह घोषणा करदी गई कि-दस दिन तक तमाम दान शालाएँ बन्द कराकर राज्य की दान-शाला से सब तरह का दान दिया जाय , हर किस्म का महसूल (राज्य कर) माफ किया जाय, नगर में कोई आवश्यकीय वस्तु नहीं खरीदे, चाहिये वह बिना मूल्य राज्य दुकान से ले ले, कर्ज मांगने वाला धरणा नहीं दे सकेगा और दस दिन तक कोई भी सुभट किसी पर दबाव नहीं डाल सकेगा. इस घोषणा से नागरिक लोग हर्षित होकर महोत्सव में उत्साहपूर्ण उमंग से सम्मिलित हुएं.
दस दिन तक कुल मर्यादा के अनुसार पाठ, पूजन, विधि विधानादि किये गये- महाराजा ने लाखों रुपया, देव पूजन में , दान , इनाम में व्यय किये और लाखों
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