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* महावीर जीवन प्रभा *
६. कैवल्यप्राप्ति- अन्त में अनित्य और अशरणादि भावना से वस्तु-पृथक्करण का बोध हुवा, तत्काल ही "केवल ज्ञान-केवल दर्शन" उत्पन्न होगये.
७. शासन सेवा-महावीर शासन की बयालीस वर्ष तक गौतम गणधर ने अभूतपूर्व सेवा की- जनता पर भारी उपकार किया और अन्त में मोक्ष पधारे.
प्रकाश-सब बातों पर क्रमशः प्रकाश डालते हैं:
१. प्रभावशाली महापुरुष में ही यह शक्ति होती है कि शरणागत व्यक्तियों को परम सुखी बनादें; अपना भी नम्बर यदि गौतम स्वामी के हाथ में आया होता तो भव-भ्रमण मिट जाता; अब भी परोक्ष में उनका आराधन करिये; सर्व मनोरथ सिद्ध होंगे.
२. अहा! इतने बड़े आदमी होकर अभिमान का लेश भी नहीं था, यह लोकेषणा ( यशः कीर्ति की लालसा) के त्याग का प्रभाव है, आज तो ज्यों ज्यों दर्जा बढ़ता जाता है, त्यों त्यों गर्व से गर्जते रहते हैं, छोटे और बड़े एक ही घाट पानी पीते नजर आते हैं; नम्रभावी बनकर देखिये तो सही कितना आनन्द आता है.
३. यों तो गौतम स्वामी अनेक लब्धियों के निधि थे; पर उनकी यह कैवल्य-प्रदान लब्धि तो वे नजीर थी,
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