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* मोक्ष *
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जाने से संसार में अंधेरा होगया, सूर्य के चले जाने पर उल्लुओं के राज्य सी दुनिया होगई, अहिंसा के अवतार, सत्यकी मूर्ति के लुप्त होजाने पर सृष्टि शून्य होगई. अहा ! कितना उत्तम स्थान उनने प्राप्त किया है, जिस का वर्णन करने में लेखनी असमर्थ है, इस पूर्ण पवित्र निर्वाण प्रासाद का शास्त्रों में पर्याप्त बयान किया है- भगवन्त के धैर्य ने ही उस अनुपम स्थान पर पहुँचा दिया है महानुभावो ! अपनी चिट्ठी कब निकलेगी ? संख्य, असंख्य और अनन्त मुक्ति गये जीवों में भी अपना नम्बर नहीं आया ! अब कहाँ तक आशा रखी जायगी ? लगाईये शक्ति, करिये परिश्रम, दौड़िये दौड़ और क्षय करिये कर्म; बस निर्वाण पद हाथ - बेंत जितन सा रह जायगा; समय बड़ा बढ़िया नजीक आरहा है, नहीं करेगा वह पछताय गा, अब आप कुंभकरणी निद्रा से जागृत होकर आत्मोन्नति में लगजाईये; फिर देखिये कितना आनन्द आता है.
दिगम्बर सम्प्रदाय ने परमात्मा का कार्तिक विदी चौदस का निर्वाण माना है, इस ही लिए अमावश्या के प्रातः पावापुरी में लड्डू चढ़ाते हैं; इधर श्वेताम्बर समाज अमावश्या का निर्वाण मान कर प्रतिपदा के प्रभात समय लड्डू चढ़ाते हैं; तथ्यांस क्या है, यह नहीं कहा जासकता ; है यह व्यर्थसी दुविधा; इस में मत-मतान्तर का भी
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