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* महावीर जीवन प्रभा *
भगवन्त की देशनाएँ )
भगवन्त ने बयालीस वर्ष में अनेक धर्म देशनाएँ देकर जगत् का कल्याण किया- आपने देव रचित समयसरण में विराज कर और पृथ्वी पट पर बैठकर जनता को धर्मोपदेश सुनाया - देशना के समय हर जगह समवसरण नहीं रचा जाता ; सिर्फ प्रथम देशना के समय, पाखण्डियों की जहाँ बहुतायत हो और जब जब देवों की भक्ति जाग उठती हो तब तब समवसरण ( सभा मण्डप ) की रचना होती थी.
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आपका धर्म प्रवचन समवायङ्ग सूत्रानुसार ३५ गुणों से शोभित था, श्रोताजन लट्टू होजाते थे, आपका व्याख्यान नौ रसों से पूरित था; पर खास कर वैराग्य-शांत कारुण्य और वीर रस से लबालब भरा रहता था; आपकी वैराग्य-वाहिनी देशना से जनता का सन्ताप मिट जाता था, परस्पर वैरभाव भूल जाते थे, राजा महाराजा धनाढ्य वर्ग और सामान्य समाज सब ही आत्मोन्नति ( Soul-progress) की तरफ झुक जाते थे,, आधि-व्याधि और उपाधि से मुक्ति पाने के लिए प्रयत्नशील बनते थे, आपकी परोपकारिणी वाणी से तमाम अन्य देवों को भूल जाते थे, आपकी पदार्थ प्रकाशिका मधुरी देशना ने हजारों साधु
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