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* कैवल्य *
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धर्म देशना दी, श्रोताजन मग्न होगये, बहुतेरों ने व्रतनियम ग्रहण किये.
उन दिनों में उस ही नगरी में सोमिल ब्राह्मण ने यज्ञ के लिये इन्द्र-भूति प्रमुख ग्यारह उपाध्यायों को बुलाये थे; इन सबको वेद पदों में इस प्रकार संदेह थाः
१. इन्द्रभूति-जीव है या नहीं? २. अग्निभूति-कर्म है या नहीं ?
वायुभूति-जीव और शरीर एक है या अलग
अलग ? ४. व्यक्त-पंच भूत है या नहीं ? ५. सुधर्मा-वर्तमान स्थिति भगन्तर में भी वैसी
ही रहती है या नहीं ? ६. मण्डित-जीव को बंध, मोक्ष है या नहीं ? ७. मौर्यपुत्र- देव है या नहीं ? ८. अकम्पित-नारक है या नहीं ? ९. अचलभ्राता-पुण्य, पाप है या नहीं ? १०. मेतार्य-परलोक है या नहीं ? ११. प्रभास-मोक्ष है या नहीं ?
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