________________
९४] * महावीर जीवन प्रभा *
देवों ने इस वक्त पंच दिव्य प्रकट किये, साड़ा बारह करोड़ सोनयों की वर्षा की, चन्दना के मस्तक पर नूतन वेणी रचदी और पैरों की सांकल झांझर बनगये, पीछे सेठ आया, मालूम होने पर राजा भी आया, प्रजाजन भी इकट्ठे होगये, सब के समक्ष इन्द्र म० ने आकर कहा- जिस वक्त भगवान् को कैवल्य उत्पन्न होगा, उस वक्त यह सब द्रव्य चन्दनबाला के दीक्षा में लगेगा, अपनी रानी की भांजी मालूम होने से राजा अपने रणवास में ले गया। इस तरह ५ दिन कम ६ महीने में भगवन्त का पारणा हुवा.
प्रकाश-जिस तरह खाने के शौकीन के दिलमें खाने की ही तरंगे उठा करती हैं , वाणी और वर्तन में मी यही प्रवाह चला करता है, यानी भोजन प्रकरण का घोत बहा करता है । उस तरह , अनासक्त और तपस्वियों के हृदय में त्याग की लहरें उठा करती हैं, हर तरह और हर रास्ते से आसक्ति और परिमोगों का परिहार हो, इसकी गवेषणा किया करते हैं, अभिग्रहादि तपस्या से आत्म-दमन ( Self-control ) का उपाय किया करते हैं. यद्यपि आज भी मनिराज अभिग्रह धारण करते हैं और दिगम्बर मनि में इसका विशेष प्रचार है; तदपि अभिग्रह धारियों को
मनमें प्रायः यह रहता होगा कि किसी तरह लोग जान Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com