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* महावीर जीवन प्रभा *
कायरों का यह मत हो सकता है, पर त्यागी- महात्मा
और गहरे समझदारों की यह मान्यता नहीं हो सकतीक्या आपभी तपस्या करने में कुछ हाथ बटावेंगे ? कि 'परोपदेशे पाण्डित्यं' में ही खुश रहेंगे; यह निश्चित है कि शरीर पर दबाव डाले विना और भोजन का मोह छोडे विना शान्ति वरमाला नहीं डाल सकती- उपवासादि व्रत यदि न बन सके तो नाना प्रकार की तपस्या का उल्लेख है, उसमें से जी चाहे सो करिये, और हिम्मत पूर्वक आगे कदम बढाईये ; इससे अत्यन्त हित होगा.
( विलक्षण अभिग्रह)
भगवन्त ने एक वक्त बड़ा कठिन अभिग्रह (तपका अंग) किया- राजा की पुत्री हो, बन्दिखाने रही हो, पैरों में जंजीर हो, मस्तक मंडाया हवा हो, तीन दिन की भूखी हो, आँखों में आंसू बहते हों, दोनों पैरों के बीच देली करके खड़ी हो, इस स्थिति में रही हुई राज कन्या दो पहर के बाद उड़द के बाकुले यदि बहरावे तो पारणा करना; वर्ना तपस्या करना.
इस अमिग्रह को चार मास हो गये थे, उस वक्त कोशाम्बी नगरी के राजा शतानीक ने चम्पा नगरी पर
आक्रमण ( Attack ) कर दिया, वहाँ का दधिवाहन राजा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com