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द्वितीय अध्याय । धान पंड्यो आटो नहीं, धोरै नीर न जाय ॥ कातणे जोगी भूखां मरै, कहु चेला किण दाय ॥१८॥
गुरुजी फेरी नहीं ॥ भांभी साल न बांजवे, नाणों लै फिरि जाय ॥ पोगा ढीला साल में, कहु चेला किण दाय ॥ १९ ॥
गुरुजी वेणियो नहीं ॥ वैण बुलन्ता लड़थडे, नायण गीत न गाय ॥ भोजन धार जु जीमणो, कहु चेला किण दाय ॥ २० ॥
' गुरुजी दाते नहीं ॥ खेत णेठो किण कारणे, चोपदै घर घर जाय ॥ गुल मुंहगो किणविध हुवो, कहु चेला किण दाय ॥२१॥
गुरुजी वाड़ नहीं ॥ अमल अटकाँ गैल गयो, दैदी बंधती जाय ॥ चांभी अँनन न वाचियो, कहु चेला किण दाय ॥ २२ ॥
गुरुजी नाई नहीं॥ पैन्थ बँटाऊ ना है, सैयण पुहँचो जायें ॥ ईस गोरज्यो हार्लंणों, कहु चेला किण दाय ॥ २३ ॥
गुरुजी बोलॅवो नहीं ॥
१-अनाज ।। २-पड़ा हुआ ॥ ३-रेत का टीला | ४-पानी ।। ५-नामविशेष ।। ६-योगी। ७-चर्की, नाली और फिरकर मांगना ॥ ८-ढेढ ॥ ९-ताणा ॥ १०-तानता है ॥ ११-द्रव्य ॥ १२-पावा ॥ १३-छेद में ॥ १४-बना हुआ, बनियां और बना हुआ ॥ १५-वचन ॥ १६-बोलता हुआ ॥ १७-गिड़गिड़ाता है ॥ १८-नाई की स्त्री ॥ १९-गाती है । २०-कठिन ।। २१-दांत (तीनों में समान जानो)॥ २२-नष्ट हुआ ॥ २३-किस ॥ २४-कारण से ॥ २५-चतुप्पद ॥ २६-गुड़ ।। २७-तेज, मँहगा॥ २८-किस तरह से ॥ २९-हुआ॥ ३०-बाड़, वाड़ और आमद ॥ ३१-अफीम ॥ ३२-गला ॥ ३३-डाढ़ी ॥ ३४-बढ़ती जाती है ॥ ३५-हल की लीक ।। ३६-अन्न ॥ ३७-बचा हुआ ॥ ३८-पहिले दो में नाई, तीसरे में हलकी मँगली ॥ ३९-रास्ता ।। ४०-यात्री ॥ ४१-चलता है ॥ ४२-सम्बन्धी ॥ ४३-लौट गया ॥ ४४-महादेव ॥ ४५-पार्वती ॥ ४६-चलना ॥ ४७-बोलनेवाला, सत्कार और बुलावा ।।
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