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जैनसम्प्रदायशिक्षा। को करिये यतन, रहिये जिहिँ आधार ॥ को बैठे जा डार पर, काटै सोई डार ॥ १४६ ॥ भागहीन को ना मिले, भली वस्तु को भोग ॥ जैसे पाकी दाखसों, होत काग मुखरोग ॥ १४७ ॥ सब कोऊ चाहत भलो, मित्र मित्र की ओर ॥ ज्यों चकवी रवि को उदय, शशि को उदय चकोर ॥ १४८॥ भले वंश सन्तति भली, कबहूँ नीच न होय ॥ ज्यों कञ्चन की खान में, काँच न उपजै कोय ॥१४९॥ शूर.बीर के वंश में, शूर वीर सुत होय ॥ ज्यों सिंहिनि के गर्भ में, हिरन न उपजै कोय ॥ १५० ॥ अधिक चतुर की चातुरी, होत चतुर के संग ॥ नंग निरमल की डांक सें, बढ़त ज्योति छविरंग ॥ १५१ ॥ पण्डित अरु वनिता लती, शोभत आश्रय पाय ॥ है माणिक बहुमोल तउँ, हेमजंटित छविछोय ॥१५२॥ अति उदारपन बड़न को, कहलँग बरनै कोय ॥ चाँतक जाँचै तनक घन, बरसि भरै महि तोय ॥ १५३ ॥ दुष्ट संग वसियै नहीं, अवगुन होय सुभाय ॥ घिसत वंश की अग्नि सें, जरत सबै वनराय ॥ १५४ ॥ करै अनादर गुनिन को, ताहि सभा छवि जाय ॥ गज केपोल शोभा मिटत, जो अलि देत उड़ाय ॥ १५५ ॥ हीन जानि न विरोधिये, वही होत दुखदाय॥ रेंज हू ठोकर मारिये, चढ़े सीस पर आय ॥ १५६॥ विना दिये नहिं मिलहि कछु, यह समुझे सब कोय ॥ देत शिशिर में पात तेरु, सुरभि संपल्लव सोय ॥ १५७ ।। जो सेवक कारज करै, होत बड़े को नाम ॥ पथर तिरत करनील तें, कहत तिराये राम ॥ १५८ ॥ यह निश्चय कर जानिये, जानहार
सो जाय ॥ गज के भुक्त कवीठ के, ज्यों गिरि वीज विलाय ॥ १५९ ॥ दूर कहा नियरे कहा, होनहार सो होय ॥धुर सींचै नौलेर के, फल में प्रकट तोय ॥१६०॥ मीठी मीठी वसतु नहि, मीठी जाकी चाहि ॥ अमली मिसरी परिहरै, आफू खात सरोहि ॥ १६१ ॥ भले बुरे को जानिवो, जान वचन के बन्ध ॥ कहै अन्धं को सूर इक, कहै अन्ध को अन्ध ॥ १६२ ॥ चिरंजीवी तन हू तजे, जाको जग जैस वास ॥ फूल गये ज्यों फूल की, रहत तेल में वास ॥ १६३ ॥ वृद्धि होत नहिँ पाप से, वृद्धि धर्म से धार ॥ सुन्यो न देख्यो सिंह के, मृग को सो परिवार ॥ १६४॥ दोष लगावत गुनिन को, जाको हृदय मलीन ॥ धर्मी को दम्भी कहै, क्षमाशील बलहीन ॥ १६५ ॥ खाय न खरचै सूम धन, चोर सबै लै जाय ॥ पीछे ज्यों मधुमक्षिका, हाथ घिसै पछिताय ॥ १६६ ॥ दान दीन' को दीजिये, मिटै जु वाकी
१-सहारा ॥ २-ढाली, शाखा ॥ ३-निर्भाग्य ।। ४-किशमिश ॥ ५-सोना ॥ ६-बेटा ।। ७-चतुराई ॥ ८-हीरा मानक ।। ९ स्त्री॥ १०-बेल || ११-सहारा ॥ १२-बहुत कीमत का। १३-तो भी॥ १४-सोने में जड़ा हुआ ॥ १५-शोभा देता है ।। १६-कहांतक ॥ १७-पपीहा ॥ १८-मांगता हैं ॥ १९-मेघ ॥ २०-पृथिवी ॥ २१-जल ॥ २२-गाल ॥ २३-भौंरा ॥ २४-धूल !! २५-पत्ता ।। २६-वृक्ष ॥ २७-वसन्त में ॥ २८-पत्तों वाला॥ २९-जानेवाला ॥ ३०-समीप ॥ २२-होनेवाला ॥ ३२-मूल, जड़॥ ३३-नारियल ॥ ३४-पैदा होता है ।। ३५-पानी ॥ ३६ -वस्तु, चीज़ ॥ ३७-छोड़ देता है॥ ३८-अफीम ॥ ३९-तारीफ कर के।। ४०-अंधा ।। ४१-बहुत समय तक जीने वाला ॥ ४२-छोड़ने पर ।। ४३-यश, कीर्ति ॥ ४४-रहता है, मौजूद है।॥ ४५-सुगन्धि ।।. ४६-कदम्ब ।। ४७-मैला॥ ४८-पाखंडी॥ ४९-कजस॥ ५०-शहद की मक्खी ॥ ५१-गरीब ॥
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