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जैनसम्प्रदायशिक्षा। हुमा दीख पड़े तो बड़ा लाभ और सुख होता है, यदि बाई तरफ को उतरे वा जाँघ, पेट और हृदय को दाहिने पिछले पैर से चाटता हुआ अथवा खुजलाता हुआ दीख पड़े तो बड़ा लाभ होता है, यदि सूप पर, ऊखली की दाहिनी तरफ, श्मशान में, वा पत्थर पर मूतता हुभा दीख पड़े तो बड़ा कष्ट उत्पन्न होता है, ऐसे शकुन को देख कर ग्राम को नहीं जाना चाहिये, ग्राम को चलते समय यदि कुत्ता ऊँचा बैठा हुआ कान मस्तक और हृदय को खुजलाता हुआ वा चाटता हुआ दीख पड़े अथवा दो कुत्ते खेलते हुए दीख पड़ें तो कार्य की सिद्धि होती है तथा यदि कुत्ता भूमि पर लोटता हुभा वा स्वामी से लाड़ किया जाता हुआ खाट पर बैठा दीखे तो तो बड़ा क्लेश उत्पन्न होता है।
३९-यदि ग्राम को जाते समय मुख में भक्ष्य पदार्थ को लिये हुए बिल्ली सामने दीख पड़े तो लाभ और कुशल होता है, यदि दो विल्लियाँ लड़ती हो वा घुर २ शब्द कर रही हों तो अशुभ होता है तथा यदि बिल्ली मार्ग को काट जावे तो ग्राम को नहीं जाना चाहिये।
४०-ग्राम को जाते समय छडूंदर का बाईं तरफ होना उत्तम होता है तथा दाहिनी तरफ होना बुरा होता है। - ४१-ग्राम को जाते समय यदि प्रातःकाल हरिण दाहिनी तरफ जावे तो अच्छा होता है परन्तु यदि हरिण सींग को ठोंके, शिर को हिलाने, मूत्र करे, मल करे वा छींके तो दाहिनी तरफ भी अच्छा नहीं होता है। .४२-ग्राम को जाते समय शृगाल का बाईं तरफ बोलना तथा घुसते समय दाहिनी तरफ बोलना उत्तम होता है। यह पञ्चम अध्याय का शकुनावलिवर्णन नामक ग्यारहवाँ प्रकरण समाप्त हुआ। इति श्रीजैनश्वेताम्बर-धर्मोपदेशक-यतिप्राणाचार्य-विवेकलब्धिशिष्यशीलसौभाग्यनिर्मितः जैनसम्प्रदायशिक्षायाः
पञ्चमोऽध्यायः॥
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ग्रंथसमाप्तिः
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