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पञ्चम अध्याय ।
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४- यदि चैत्र सुदि चतुर्थी के दिन प्रातःकाल चन्द्र स्वर न चलता हो तो जानना चाहिये कि - नौ महीने में मृत्यु होगी ।
५ - यदि चैत्र सुदि पञ्चमी के दिन प्रातःकाल चन्द्र स्वर न चलता हो तो जानना चाहिये कि - राज्य से किसी प्रकार की तकलीफ तथा दण्ड की प्राप्ति होगी ।
६ - यदि चैत्र सुदि षष्ठी (छठ) के दिन प्रातःकाल चन्द्र स्वर न चलता हो तो जानना चाहिये कि इस वर्ष के अन्दर ही भाई की मृत्यु होगी ।
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9- यदि चैत्र सुदि सप्तमी के दिन प्रातःकाल चन्द्र स्वर न चलता हो तो जानना चाहिये कि - इस वर्ष में अपनी स्त्री मर जावेगी ।
८- यदि चैत्र सुदि अष्टमी के दिन प्रातःकाल चन्द्र स्वर न चलता हो तो जानना चाहिये कि - इस वर्ष में कष्ट तथा पीड़ा अधिक होगी अर्थात् भाग्ययोग से ही सुख की प्राप्ति हो सकती है, इत्यादि ।
९-इन के सिवाय-यदि उक्त दिनों में प्रातःकाल चन्द्र स्वर में पृथिवी तत्व और जल तत्व आदि शुभ तत्व चलते हों तो और भी श्रेष्ठ फल जानना चाहिये ।
पाँच तत्वों में प्रश्न का विचार ।
१ - यदि चन्द्र स्वर में पृथिवी तत्त्व वा जल तत्त्व चलता हो और उस समय कोई किसी कार्य के लिये प्रश्न करे तो कह देना चाहिये कि अवश्य कार्य सिद्ध होगा ।
२- यदि चन्द्र स्वर में अग्नि तत्व वा वायु तत्व चलता हो अथवा आकाश तत्व हो और उस समय कोई किसी कार्य के लिये प्रश्न करे तो कह देना चाहिये कि - कार्य किसी प्रकार भी सिद्ध नहीं होगा ।
३ - स्मरण रखना चाहिये कि चन्द्र स्वर में जल तत्व और पृथिवी तव स्थिर कार्य के लिये अच्छे होते हैं परन्तु चर कौर्य के लिये अच्छे नहीं होते हैं और चायु तत्व; अग्नि तत्व और आकाश तत्व; ये तीनों चर कार्य के लिये अच्छे होते हैं; परन्तु ये भी सूर्य स्वर में अच्छे होते हैं किन्तु चन्द्र स्वर में नहीं ।
४ - यदि कोई पुरुष रोगिविषयके प्रश्न को आकर पूछे तथा उस समय चन्द्र स्वर में पृथिवी तत्त्व वा जल तत्व चलता हो और प्रश्न करनेवाला भी उसी चन्द्र स्वर की तरफ ही ( बाईं तरफ ही ) बैठा हो तो कह देना चाहिये कि - रोगी नहीं मरेगा ।
५ - यदि चन्द्र स्वर बन्द हो अर्थात् सूर्य स्वर चलता हो और प्रश्न करनेचाला बाईं तरफ बैठा हो तो कह देना जाहिये कि रोगी किसी प्रकार भी नहीं जी सकता है ।
१ - चर और स्थिर कार्यों का वर्णन संक्षेप से पहिले कर चुके हैं ॥ २-रोगी के विषय में ।
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