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जैनसम्प्रदायशिक्षा।
- १०-भोजन करने के पीछे शीघ्र ही बांचने, लिखने, पढ़ने तथा सूक्ष्म (बारीक ) विषयों के विचार करने के लिये नहीं बैठना चाहिये, किन्तु कम से कम एक घंटा बीत जाने के बाद उक्त काम करने चाहिये।
११-अन्न के पचाने (हजम करने ) के लिये गर्म दवाइयां, गर्म खुराक तथा साफ दस्त लानेवाली दवा (जुलाब आदि) नहीं लेनी चाहिये।
बस अजीर्ण रोग से बचने के लिये ऊपर लिखे नियमों के अनुसार चलना चाहिये, होजरी (आमाशय) को सुधारने के लिये कुछ समयतक बच्चों की भांति दूध से ही निर्वाह करना चाहिये, आरोग्यता को रखनेवाली सितोपलादि साधारण औषधों का सेवन करना चाहिये, तथा घोड़ेपर सवार होकर अथवा पैदल ही प्रातःकाल और सायंकाल स्वच्छ वायु के सेवन के लिये भ्रमण करना चाहिये, क्योंकि होजरी के सुधारने के लिये यह सर्वोत्तम उपाय है।
अतीसार (डायरिया ) का वर्णन । कारण-अजीर्ण रोग के समान अतीसार (दस्त ) होने के भी बहुत से कारण हैं, तथा इन दोनों रोगों के कारण भी प्रायः एक से ही हैं, इन के सिवाय अतिशय (अधिक) और अयोग्य खुराक, कच्चा अन्न, वासी तथा भारी खुराक, इत्यादि पदार्थों के उपयोग से भी अतीसार रोग होता है, एवं खराब पानी, खराब हवा, ऋतु का बदलना, शर्दी, भय तथा अचानक आई हुई विपत्ति, इत्यादि कई एक कारण भी इस रोग के उत्पादक (उस्पा करनेवाले) माने जाते हैं।
लक्षण-वारंवार पतले दस्त का होना, यह इस रोग का मुख्य चिह्न है, इस के सिवाय-जी मचलाना, अरुचि, जीभपर सफेद अथवा पीली थर का जमना, पेट में वायु का बढ़ना तथा उस की गड़गड़ाहट का होना, चूंक तथा खट्टी डकार का आना, इत्यादि दूसरे भी चिह्न इस रोग में होते हैं। __ इस बात को सदा ध्यान में रखना चाहिये कि अतीसार रोग के दस्तों में तथा मरोड़े के दस्तोंमें बहुत फर्क होता है अर्थात् अतीसार रोग में पतला दस्त जल. प्रवाह (जल के बहने ) के समान होता है और मरोड़े में आँतें मैल से भरी हुई होती हैं, इसलिये उस में खुलासा दस्त न होकर व्यथा ( पीड़ा) के साथ थोड़ा २ दस्त आता है तथा आँतों में से आँव, जलयुक्त पीप और खून भी गिरता है, यदि कभी अतीसार के दस्तों में खून गिरे तो यह समझना चाहिये कि यह
१-भोजन करने के पीछे शीघ्र ही लिखने पढ़ने आदि का कार्य करने से भोजन ज्यों का त्यों आमाशय में स्थित रह जाता है अर्थात् परिपक्क नहीं होता है ॥ २-क्यों कि ऐसा करने से जठराग्नि का स्वाभाविक बल नष्ट हो कर उस में विकार उत्पन्न हो जाता है ।। ३-अर्थात् अजीर्ण रोग के जो कारण कहे हैं वे ही अतीसार रोग के भी कारण जानने चाहिये ॥ ४-खराब पानी के ही कारण प्रायः यात्रियों को दस्त होने लगते हैं ॥ ५-भर्थात् साधारण अतीसार और मरोड़े को एक ही रोग नहीं समझ लेना चाहिये ।।
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