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चतुर्थ अध्याय ।
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चाय-वर्तमान समय में चाय का बहुत ही प्रचार है अर्थात् घर २ में लोग इस को पीते हैं, हमारे देश में पहिले चीन से चाय आती थी परन्तु अब बहुत वर्षों से नीलगिरि और आसाम के जिले में भी चाय पैदा होकर यहां आने लगी है, इस देश में जो चाय बाज़ारों में विकती है वह बहुत ही घटिया होती है, चीन जैसी चाय किसी मुल्क में नहीं पैदा होती है अर्थात् आठ आने से लेकर सौ रुपये तक वहां एक रतल की कीमत होती है किन्तु इस से भी अधिक होती है, वैसी अव्वल दर्जे की चाय बाजारों में बिकती हुई यहां कभी नहीं देखी गई और न उस चाय का यहां कोई ग्राहक ही दीख पड़ता है, क्योंकि यहां तो 'सस्ता दाम
और चोखा माल, का विचार प्रत्येक के हृदय में बस रहा है। ___ चाय वृक्ष के सुखाये हुए पत्ते हैं, सूख जाने के बाद इन पत्तों को कड़ाहों में गर्म करते हैं तब उन में सुगन्धि और स्वाद अच्छा हो जाता है, यह एक थोड़े ही नसे की चीज है इस लिये सदा पीने से अफीम, गांजा, सुलफा, तमाखू, मद्य, भांग और धतूरे आदि दूसरी नसीली चीजों की तरह अधिक हानि नहीं करती है।
चाय में प्रतिसैकड़े के हिसाब से गुण करनेवाला भाग एक से छःभाग तक . होता है अर्थात् सब से हलकी (घटिया) चाय में एक और सब से बढिया चाय में प्रति सैकड़े में छः गुण कारी भाग हैं, इस में पौष्टिक तत्व प्रतिसैकड़े में १५ भाग हैं और कब्ज़ी करनेवाला तत्व बहुत ही थोड़ा है।
काली और हरी चाय एक ही वृक्ष की होती है और पीछे बनावट के द्वारा इस के रंग में परिवर्तन होता है, चाय के ताजे पत्तों को गर्म कढ़ाई में चढ़ाने से अथवा पानी की भाफ से सुखाकर गर्म करने से वह रंग में काली अथवा हरी हो जाती है, परन्तु हरी चाय को रंग देने के लिये नीला थोथा अथवा प्रश्यनल्बू नामक जहरीली वस्तु का जो कुछ अंश किसी समय लोग देते हैं उस का असर बहुत खराब होता है।
च य बज़न में बहुत थोड़ी सी पीने से शरीर में सुस्ती पैदा करती है और थोड़ी नींद लाती है, परन्तु वजन में अधिक पीने से अंग में गर्मी और फुर्ती आती है तथा नींद का आना बंद हो जाता है।
बहुत से लोग नींद को रोकने के लिये रात को चाय पीते हैं उस से यद्यपि नींद तो नहीं आती है परन्तु वे चैनी पैदा होती है, जो लोग नींद को रोकने के लिये रात को बार २ चाय पीते हैं और नींद को रोकते हैं इस से उन के मगज़ को बहुत हानि पहुँचती है, जो आदमी अच्छा और पुष्टिकारक खुराक ठीक समय पर खाते हैं वे लोग यदि परिमाण के अनुसार चाय पीवें तो कुछ हानि नहीं है परन्तु हलका और थोड़ा भोजन करनेवाले तथा गरीब आदमियों को थोड़ीसी तेज़ चाय पीनी चाहिये क्योंकि हलकी खुराक खानेवाले लोगों को थोड़ी सी तेज़ चाय नुकसान नहीं
१-इस को चा और चाह भी कहते हैं ।
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