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जैनसम्प्रदाय शिक्षा |
भी न सका, इसलिये प्यारे मित्रो ! अपने मुख से ऐसा कभी नहीं कहना चाहिये कि—–पहिले ऐसा कार्य कभी नहीं हुआ था, क्योंकि - अपने लोग अभी कूपमण्डूक की गिनती में गिने जाते हैं इसलिये हम लोग सागर के विस्तार को कैसे जान सकते हैं, अस्तु ।
जो लोग परिश्रम नहीं करते हैं किन्तु रातदिन गद्दी तकियों के नौकर बने रहते हैं उन को नल का पानी वृथा पुष्ट और सच्वहीन कर देता है, किन्तु जो लोग परिश्रमी हैं उन के लिये यह ( नल का पानी ) लाभदायक है, इस के शिवाय नल के जल से जो २ लाभ पहुँचे हैं तथा पहुँच रहे हैं उनके वर्णन करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उस के लाभ प्रत्यक्ष ही दीख रहे हैं ।
सरोवर ( तालाव ) का पानी - पृथिवी के निम्न ( नीचे ) भागों में जो बरसात के पानी का संग्रह हो जाता है उसको तालाव या सरोवर कहते हैं, बहुत से तालाव ऐसे भी होते हैं कि-जिन के भीतर पहाड़ की तलहटियों का झरना निरन्तर बहा करता है, इस लिये उन में अटूट पानी रहता है, परन्तु बहुत से तो प्रायः ऐसे ही होते हैं कि जो तालाव केवल बरसात के ही पानी से भरा करते हैं और बरसात के न होने से सूख जाते हैं, बरसात का जो पानी आस पास के प्रदेशों से बह कर तालाबों में आता है वह थोड़े दिनोंतक स्थिर रह कर पीछे निर्मल हो जाता है, यदि तालाव के पानी में किसी प्रकार की मलिनता न होने पावे तो वह पानी अच्छा रहता है अर्थात् उस को पीने के उपयोग में ला सकते हैं, परन्तु जिस तालाव में लोग नहाते धोते हों तथा अन्य किसी प्रकार की मलिता करते हों तो उस तालाव का पानी पीने के उपयोग में कभी नहीं लाना चाहिये ।
अपने देश के लोग शरीरसंरक्षण के विषय में बहुत ही अज्ञ हैं इसलिये नहाने धोने आदि की मलिनता से युक्त पानी के पीने से होनेवाली हानियों को वे न जानकर मलिन पानी को भी अपने पीनेके उपयोग में ले आते हैं यह बहुत ही शोक का विषय है ।
तालाव का पानी मीटा, भारी, रुचिकर, त्रिदोपहर और शर्दी करनेवाला है, परन्तु वही जल मैला होने से अनेक रोगों को उत्पन्न करता है ।
नदी के पानी के बिगड़ने के जितने हेतु कह चुके हैं वे ही सब हेतु तालाव पानी के बिगड़ने के भी जानने चाहियें, हां इतनी विशेषता और भी है कि नदी का पानी बहता रहता है और तालाव का पानी बँधा हुआ रहता है इसलिये नदी के बिगड़े हुए पानी की अपेक्षा तालाव के बिगड़े हुए पानीसे अधिक हानि का संभव होता है ।
१ - त्रिदोपहर - अर्थात् वात, पित्त और कफ को तथा इन से उत्पन्न हुए रोगों को मिटाने वाला ॥
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