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जैनसम्प्रदायशिक्षा। के उपद्रवों से युक्त है, वह आनूप देश कहलाता है तथा उस देश में स्थित जल को आनूप जल कहते है।
इन दोनों प्रकार के जलों के गुण ये हैं कि-जांगल जल स्वाद में खारा अथवा भलभला, पाचन में हलका, पथ्य तथा अनेक विकारों का नाशक है, आनृपजलमीठा और भारी होता है, इस लिये वह शर्दी और कफ के विकारों को उत्पन्न करता है।
इन के सिवाय साधारण देश का भी जल होता है, साधारण देश उसे कहने हैं कि-जिस में सदा अधिक जल न पड़ा रहता हो और न अधिक वृक्षों का ही झुण्ड हो अर्थात् जल और वृक्ष साधारण ( न अति न्यून और न अति अधिक ) हों, इस प्रकार के देश में स्थित जल को साधारण देश जल कहते हैं, सधारण देशजल के गुण और दोष नीचे लिखे अनुसार जानने चाहिये:
नदीका जल-भूमि जल के भिन्न २ जलाशयों में वहता हुआ नदी का पानी विशेप अच्छा गिना जाता है, उस में भी बड़ी २ नदियों का पानी अत्यन्त ही उत्तम होता है, यह भी जान लेना चाहिये कि-पानी का स्वाद पृथिवी के त ठभाग के अनुसार प्रायः हुआ करता है अर्थात पृथिवी के तलभाग के गुण के अनुसार उस में स्थित पानी का स्वाद भी बदल जाता है अर्थात् यदि पृथिवी का तल खारी होता है तो चाहे बड़ी नदी भी हो तो भी उस का पानी खारी हो जाता है, वर्षा ऋतु में नदी के पानी में धूल कूड़ा तथा अन्य भी बहुत से मैले पदार्थ दूर से आकर इकठे हो जाते हैं, इस लिये उस समय वह बरसात का पानी निलकृल, पीने के योग्य नहीं होता है, किन्तु जब वह पानी दो तीन दिन तक स्थिर रहता है. और निर्मल हो जाता है तब वह पीने के योग्य होता है।
झाड़ी में बहनेवाली नदियों तथा नालों का पानी यद्यपि देखने में बहुत ही निर्मल मालूम होता है तथा पीने में भी मीठा लगता है तथापि वृक्षों के मूल में होकर वहने के कारण उस पानी को बहुत खराव समझना चाहिये, क्योंकि-ऐसा पानी पीने से ज्वर की उत्पत्ति होती है, केवल यही नहीं किन्तु उस जल का स्पर्श कर चलनेवाली हवा में रहने से भी हानि होती है, इसलिये ऐसे प्रदेश में जाकर रहनेवाले लोगों को वहां के पानी को गर्म कर पीना चाहिये अर्थात् सेर भर का तीन पाव रहने पर (तीन उबाल देकर ) ठंढा कर मोटे वस्त्र से छ न कर पीना चाहिये।
बहुत सी नदियां छोटी २ होती हैं और उन का जल धीमे २ चलता है तथा
१-हैदराबाद, नागपुर, अमरावती तथा खान-देश आदि साधारण देश हैं ॥ २-जै-शिखर गिरि, पार्श्वनाथहिल और गिरनार आदि पर्वतों के नदी नालों के जल को पीनेवाले लोग ज्वर
और तापति ही आदि रोगोंसे प्रायः दुःखी रहते हैं तथा यही हाल बंगाल के पास अडंग देश का है, वहां जानेवाले लोगों को भी एकवार तो पानी अवश्य ही अपना प्रभाव दिखाता है, यही हाल राथपुर आदि की झाड़ियों के जल का भी है।
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