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अनुक्रमणिका
02-03
03-05 05-06 06-07 08-10 10-12
12-14
1. जीवन में संयम आवश्यक 2. मन पर जीत ही सच्ची जीत 3. सकारात्मक सोच जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है। 4. सफलता सदा कायम नहीं रहती 5. शराब आदि व्यसन सामाजिक और आध्यात्मिक उन्नति में बाधक 6. भारतीय संस्कृति में आदर्श शिक्षक सदैव सम्माननीय 7. अणुव्रतों का पालन एवं आसक्तिरहित जीवन राष्ट्र के लिए वरदान 8. चित्त पर नियंत्रण सर्व कल्याणकारी है 9. उत्कृष्ट साधना, तपश्चर्या व सहजता की मूर्ति आचार्यश्री शांतिसागर 10. जीवदया ही सच्चा धर्म 11. मानवता एवं अहिंसा सिंचन के लिए मुनिकुंजर आचार्यश्री आदिसागर 12. जो काम सुई से हो सकता है उसके लिए तलवार उठाने की जरूरत नहीं 13. मिलना किस काम का जब मन न मिले 14. अहिंसा श्रेष्ठ धर्म इसका पालन ही सच्ची मानवता 15. क्रोध ही सर्वनाश की जड़ : उत्तम क्षमा धर्म 16. अहंकार छोड़ जीवन में मृदुता धारण करो : उत्तम मार्दव धर्म 17. सरल स्वभावी और निष्कपटी होना : उत्तम आर्जव धर्म 18. लोभ पाप का बाप क्यों? : उत्तम शौच धर्म 19. सत्यवादी नहीं किन्तु सत्य जीवन जीने वाले बनो : उत्तम सत्य धर्म 20. सद्गृहस्थ भी छोटे छोटे संकल्पों के पालन से कर सकते है
'उत्तम संयम धर्म की साधना 21. कामना और इन्द्रियों का दमन है : उत्तम तप धर्म 22. आत्म कल्याण एवं समाज संतुलन का अद्भुत संगम : उत्तम त्याग धर्म 23. परिग्रह परिमाण करना ही श्रावक के लिए : उत्तम आकिंचन धर्म 24. श्रावक एकदेश ब्रह्मचर्य का पालन करके आत्मा के गुणों को
प्रकट कर सकता है 25. 18 भाषाओं के ज्ञाता तथा जैन धर्म के परम प्रभावक संत
आचार्यश्री महावीरकीर्ति महाराज 26. शिक्षाव्रत-प्रोषधोपवास आत्मा की शुद्धि के लिए आवश्यक 27. व्यक्तित्व विकास के लिए स्वतंत्रता एवं स्वच्छंदता में भेद जरूरी 28. बर्थ डे, व्यर्थ डे न बन जाय इसका रखें ध्यान 29. परोपकारी वीतरागी दिगम्बर संत सदाचार की संस्कृति के वाहक हैं 30. जैन कोई सम्प्रदाय नहीं, अपितु जन-जन का धर्म है 31. जैन धर्म कठोर साधना का पर्याय
15-18 18-20 21-23 24-26 26-27 27-29 29-30 31-32 32-34 34-35 36-37 37-39 40-42
42-44 44-46 46-48
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