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भूमिका
राष्ट्र गौरव संत, प्राकृताचार्य अभिनव कुंदकुंद 108 आचार्य श्री सुनीलसागरजी का वर्ष 2018 का चातुर्मास गुजरात राज्य की राजधानी गांधीनगर में हुआ। गुरुवर व 45 पीछी के विशाल संघ का सानिध्य सुअवसर पाकर 35 घरों का छोटा सा समाज पुलकित हो उठा। चातुर्मास क्या मिला, समाज को सभी निधियां मिल गई हों, ऐसा लगता था हर कार्यक्रम के आयोजन में एक होड़ सी लगी रहती थी हर कोताही को आगे से आगे बढ़कर दूर करने की। आचार्यश्री के वात्सल्य के कारण समाज बेफिक्र होकर हर एक अनुष्ठान के आयोजन में लग जाता। जब तक गुरुवर का हाथ सिर पर है तब तक सब बहुत अच्छा होगा और इस चातुर्मास के दरम्यान इतना सब हुआ, वह अकल्पनीय था। प्रवचन की अमृतवाणी प्रातः दोपहर को स्वाध्याय तथा शाम को फिर आरती व धर्म प्रभावना व सीखने की कक्षाएं आदि नियमित था किन्तु इसके साथ साथ कई बड़े बड़े आयोजन हुए जिनमें राजनैतिक व सार्वजनिक क्षेत्र में काम करने वाली नामचीन हस्तियां भी गुरुदेव के दर्शनार्थ तथा अपने प्रतिभाव व्यक्त करने हेतु आचार्यश्री के समक्ष सन्मति समवशरण में उपस्थित रहे।
। इस दौरान आचार्यश्री व संघ के पावन सानिध्य में विविध धार्मिक अनुष्ठान अष्टाह्निका, दशलक्षण विधान, मानस्तंभ निर्माण आदि सन्मति समवशरण में बहत उत्साह से सम्पन्न हए। जैन समाज को तो सीधा लाभ मिला ही किन्तु जैनेतर समाज, सरकारी अधिकारीगण, मंत्री महोदय, विधानसभा सदस्य, विभिन्न सम्प्रदायों के धर्मगुरु व अनुयायी सभी समान रूप से आचार्य भगवन की ज्ञानगंगा के प्रत्यक्ष साक्षी बने। कछ एम. एल. ए. तो बिना नागा प्रवचन भक्ति का लाभ लेते थे। गुजरात के महामहिम राज्यपाल श्री
ओ. पी. कोहली जी, मुख्यमंत्री श्री विजयभाई रूपाणीजी तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदीजी के बड़े भाई सोमभाई मोदी, छोटे भाई पंकज मोदी, रामायण में रावण की केन्द्रीय भूमिका अदा करने वाले कलाकार श्री अरविन्द त्रिवेदी सपरिवार आचार्यश्री के दर्शनार्थ पधारे एवं गद्-गद् होकर अपने प्रतिभाव व्यक्त तथा अहिंसा के पोषक नियमों को ग्रहण किया।
चातुर्मास में गुजरात की राजधानी गांधीनगर की यह धरा पवित्र पावन हो गई आचार्यश्री के ससंघ पदार्पण और जैनदर्शन की ज्ञानगंगा के अविरल प्रवाह से। जैन दर्शन की वैज्ञानिक समझ लोगों तक पहुँची, अनेकांतवाद, स्याद्वाद का आस्वादन लोगों ने जी भर कर किया, राष्ट्रवाद, भाईचारा, करुणा व दया जैसे मानवीय मूल्यों की सुवास भी प्रसंगवश इसमें मिश्रित होती रही। गुजरात राज्य के बाहर से भक्तगण सतत गुरुभक्ति का लाभार्जन करते रहे। कई आश्चर्यजनक अद्भुत घटनाएं आचार्यश्री के आभामण्डल के कारण आकार लेती रहीं जिसका साक्षी समस्त जनसमुदाय बना। इन पलों का संकलन तथा प्रसंगवश आचार्य भगवन की विशिष्ट देशना को उन लोगों तक पहुँचाना जो किन्हीं कारणों वश