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Atmānuśāsana
विश्वविख्यात हो गया -
जाँचे सुर-तरु देय सुख, चिन्तत चिन्तारैन । बिन जाँचे बिन चिन्तये, धर्म सकल सुख दैन ॥
29 अगस्त, 2019
कुन्दकुन्द भारती, नई दिल्ली
इस प्रकार ‘आत्मानुशासन' ज्ञान और वैराग्य का अद्भुत ग्रन्थ है।
धर्मानुरागी श्री विजय कुमार जैन, देहरादून, ने इस ग्रन्थराज का सम्पादन और प्रकाशन करके जिनवाणी की सेवा का महान् कार्य किया है। वे निरन्तर ही ऐसी श्रुताराधना में लगे रहते हैं। मेरा उनको मंगल आशीर्वाद है।
शुभाशीर्वाद
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आत्मानुशासन
(VIII)
पं. भूदरदास, 'बारह भावना '
आचार्य विद्यानन्द मुनि