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DIVINE BLESSINGS
मंगल आशीर्वाद -
परम पूज्य सिद्धान्तचक्रवर्ती श्वेतपिच्छाचार्य १०८ श्री विद्यानन्द जी मनिराज
'अज्झयणमेव झाणं
(अध्ययन ही ध्यान है।) अल्पाक्षरमसंदिग्धं सारवद् गूढनिर्णयम् । निर्दोषं हंतुमत् तथ्यं सूत्रमित्युच्यते बुधैः ॥
- ‘पञ्चसंग्रह', गाथा 4/3, पृष्ठ 585
1-'रयणसार', गाथा 90