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ACKNOWLEDGMENT
All that is contained in this book has been excerpted, adapted or translated into English from a number of authentic Jaina texts. Due care has been taken to conserve the essence of Pravacanasāra, the Holy Scripture composed by Ācārya Kundakunda. Contribution of the following publications in preparation of the present volume is gratefully acknowledged:
1. पं. मनोहरलाल (वि. सं. 1969), श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यविरचितः प्रवचनसारः, श्री
परमश्रुत प्रभावक मण्डल, बम्बई-2. 2. पं. पन्नालाल साहित्याचार्य (1992), आचार्य कुन्दकुन्द देव विरचित
कुन्दकुन्दभारती, समस्त दिगम्बर जैन समाज खेकड़ा (मेरठ), द्वितीयावृत्ति. 3. श्री मनोहरजी वर्णी (1979), श्रीमत्कुन्दकुन्दाचार्यदेव प्रणीत प्रवचनसार एवं
श्रीमदमृतचन्द्रसूरि विरचित तत्त्वदीपिका पर सप्तदशांगी टीका, श्रीसहजानन्द
शास्त्रमाला, रणजीतपुरी, सदर, मेरठ. 4. मुनि श्री प्रणम्यसागरजी महाराज, सम्पादन एवं अनुवाद (2016), आचार्य कुन्दकुन्द
विरचित प्रवचनसार (श्री प्रभाचन्द्रविरचित सरोजभास्कर टीका), आर्हत विद्या
प्रकाशन, गोटेगाँव, नरसिंहपुर (म.प्र), द्वितीय संस्करण.. 5. सिद्धान्ताचार्य पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री (2013), पंडितप्रवर आशाधर विरचित
धर्मामृत (अनगार ), भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई
दिल्ली-110003, छठा संस्करण. 6. सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द्र शास्त्री (2010), आचार्य पूज्यपाद विरचित
सर्वार्थसिद्धि, भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई
दिल्ली-110003, सोलहवाँ संस्करण. 7. टीका - आर्यिका श्री विशुद्धमति माताजी, सम्पादन - ब्र. पं. रतनचन्द जैन 'मुख्तार'
व डॉ. चेतनप्रकाश पाटनी (1974), श्रीमन्नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ति विरचित
त्रिलोकसार, श्री शान्तिवीर दिगम्बर जैन संस्थान, श्रीमहावीरजी (राजस्थान). 8. टीका - आर्यिका श्री विशुद्धमति माताजी, सम्पादन - डॉ. चेतनप्रकाश पाटनी
(2008), श्रीयतिवृषभाचार्य विरचित तिलोय पण्णत्ती, श्री 1008 चन्द्रप्रभ
दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, देहरा-तिजारा (राजस्थान), तृतीय संस्करण. 9. पं. पन्नालालजी वाकलीवाल (1913), दिगम्बरजैनाचार्यश्रीशुभचन्द्रविरचितः
ज्ञानार्णवः, श्री परमश्रुत-प्रभावक-मंडल, बम्बई, द्वितीयावृत्ति.
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