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Pravacanasāra
dravya), due to the nature of union between atoms exhibiting the qualities of greasiness (snigdha) or roughness (ruksa), undergoes transformations and can pervade the entire universe-space (lokākāśa). These two substances, the soul (jīva dravya) and the matter (pudgala dravya), pervade from the single space-point (pradeśa) to the entire universe-space (lokākāśa). Since the substances of time (kāla dravya), the soul (jīva dravya), and the matter (pudgala dravya) are manifold, these inhabit the entire universe-space (lokākāśa).
जध ते णभप्पदेसा तधप्पदेसा हवंति सेसाणं । अपदेसो परमाणू तेण पदेसुब्भवो भणिदो ॥2-45॥
यथा ते नभःप्रदेशास्तथा प्रदेशा भवन्ति शेषाणाम् । अप्रदेशः परमाणुस्तेन प्रदेशोद्भवो भणितः 2-45॥
सामान्यार्थ - [यथा] जैसे [ते] वे एक परमाणु बराबर कहे गये जो [नभःप्रदेशाः] आकाश के प्रदेश हैं वे परमाणुओं के माप से अनन्त गिने जाते हैं [तथा ] उसी प्रकार [ शेषाणां ] शेष - धर्म-द्रव्य, अधर्म-द्रव्य, एक जीव-द्रव्य, - इनके भी [ प्रदेशाः ] प्रदेश परमाणु-रूपी गज से मापे हुये [ भवन्ति ] होते हैं, अर्थात् मापे जाते हैं। [ परमाणुः ] अविभागी पुद्गल-परमाणु [ अप्रदेशः ] दो आदि प्रदेशों से रहित है, अर्थात् प्रदेशमात्र है। [ तेन ] उस परमाणु से [ प्रदेशोद्भवः] प्रदेशों की उत्पत्ति [ भणितः ] कही गई है। The atom (paramānu) occupies one space-point (pradesa). With this unit of measurement, there are infinite space-points (pradeśa) in the substance of space (ākāśa dravya). Similarly, the space-points of the remaining substances - the medium of motion (dharma dravya), the medium of rest (adharma dravya)
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