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प्र. 81. उत्तर
प्र. 82. उत्तर
ग्रहण कर सकते हैं। यदि तिविहार अनशन ग्रहण करना हो तो 'पाणं' शब्द नहीं बोलना चाहिए। गादी, पलंग का सेवन, गृहस्थों द्वारा सेवा आदि कोई छूट रखनी हो तो उसके लिए आगार रख लेना चाहिए। संथारे के लिए शरीर व कषायों को कृश करने का अभ्यास संलेखना द्वारा करना चाहिए। उपसर्ग के समय संथारा कैसे करना चाहिए? जहाँ उपसर्ग उपस्थित हो, वहाँ की भूमि पूँज कर बड़ी संलेखना में आये हुए 'नमोत्थु णं से विहरामि' तक पाठ बोलना चाहिए और आगे इस प्रकार बोलना चाहिए "यदि उपसर्ग से बचूँ तो अनशन पालना कल्पता है, अन्यथा जीवन पर्यन्त अनशन है।" तप के अतिचार कौन-कौनसे हैं ? जो संलेखना के अतिचार हैं, वे ही तप के अतिचार हैं। जैसे(1) इस लोक के सुख की इच्छा करना। (2) परलोक के सुख की इच्छा करना। (3) प्रशंसा मिलने पर अधिक तप करना एवं अधिक जीने की कामना करना। (4) असाता को देखकर ऐसी चिन्ता करना कि जो तप मैंने किया, वह शीघ्र पूरा हो। (5) आहारादि की एवं देव प्रदत्त काम-भोगों की इच्छा करना। तप से मिलने वाले फल कौन-कौन से हैं ? इहलोक की दृष्टि से बाह्य तप से शरीर के रोग तथा विकार नष्ट होते हैं, शरीर दृढ़ बनता है। आभ्यन्तर तप से लोगों में प्रीति, आदर, विनय आदि होता है। आध्यात्मिक दृष्टि से आत्मा के कर्म रोग तथा कर्म विचार नष्ट होने से आत्मा
{125} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
प्र. 83. उत्तर