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________________ योनि का थोकड़ा प्रज्ञापना सूत्र के नौवें पद के आधार से योनि (जीवों के उत्पत्ति स्थान) का थोकड़ा इस प्रकार है योनि तीन प्रकार की हैं-1. शीत-योनि, 2. उष्ण-योनि और 3. मिश्र-योनि। पहली नरक से तीसरी नरक तक शीत-योनि के नैरयिक हैं। उन्हें उष्णता की वेदना होती है। चौथी नरक के नेरियों में शीत-योनि वाले नैरयिक बहुत और उष्ण-योनि वाले थोड़े हैं। शीत-योनि वालों को उष्णता की वेदना और उष्ण-योनि वालों को शीत की वेदना होती है। पाँचवीं नरक में शीत-योनि वाले नैरयिक थोड़े और उष्णयोनि वाले अधिक हैं। शीत-योनि वालों को उष्ण वेदना और उष्णयोनि वालों को शीत वेदना होती है। छठी नरक के नैरिये उष्ण-योनि वाले हैं, उन्हें शीत की वेदना होती है और सातवीं नरक के नैरिये भी उष्ण-योनिक हैं, उन्हें शीत की महावेदना होती है। __ सभी देवों के 13 दंडक, संज्ञी तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय और संज्ञी मनुष्य में एक मिश्र-शीतोष्ण योनि है। तेउकाय की उष्ण-योनि और शेष चारों स्थावर, तीन 10
SR No.034370
Book TitleRatnastok Mnjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2016
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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